देश के शिक्षा मंत्रालय ने स्कूल से बाहर के बच्चों पर कोविड -19 महामारी के प्रभाव को कम करने के लिए प्रवासी बच्चों के प्रवेश, पहचान और निरंतर शिक्षा के लिए जरुरी दिशानिर्देशों की घोषणा की है.
शिक्षा मंत्रालय ने देश में स्कूल बंद होने के दौरान और जब स्कूल फिर से खुलेंगे, केंद्र शासित प्रदेशों और राज्यों द्वारा किये जाने वाले उपायों पर विस्तृत दिशा-निर्देश जारी किए हैं.
शिक्षा मंत्रालय के दिशानिर्देशों की मुख्य विशेषताएं
स्कूल से बाहर के बच्चों और विशेष जरूरतों वाले लोगों के लिए निरंतर शिक्षा
• स्थानीय शिक्षकों, स्वयंसेवकों और समुदाय की भागीदारी की मदद से स्कूल से बाहर के बच्चों अर्थात किसी भी स्कूल में न पढ़ने वाले बच्चों के लिए गैर-आवासीय प्रशिक्षण जारी रखना चाहिए.
• विशेष शिक्षकों/ स्वयंसेवकों के माध्यम से विशेष आवश्यकताओं वाले बच्चों के लिए घर-आधारित प्रशिक्षण और शिक्षा जारी रखनी चाहिए.
स्कूल से बाहर के ऐसे बच्चों की पहचान करना
• किसी भी स्कूल में न पढ़ने वाले 06 से 18 साल के बच्चों के लिए भारत के विभिन्न राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों द्वारा घर-घर जाकर व्यापक सर्वे करने के माध्यम से उचित पहचान की जानी चाहिए. उनके नामांकन के लिए एक कार्य योजना भी लागू होनी चाहिए.
जागरूकता सृजन और नामांकन अभियान
• इस शैक्षणिक वर्ष की शुरुआत में, नामांकन अभियान शुरू किया जाना चाहिए जैसेकि स्कूल चलो अभियान और प्रवेशोत्सव आदि.
• बच्चों के नामांकन और कक्षा में उपस्थिति के लिए माता-पिता और समुदाय के बीच जागरूकता पैदा की जानी चाहिए.
स्कूल बंद होने पर भी छात्रों को सहायता प्रदान की जाए
• छात्रों को बड़े पैमाने पर जागरूकता, परामर्श और लक्षित घरेलू यात्राओं सहित सहायता प्रदान की जानी चाहिए.
• सीखने की क्षति को कम करने के लिए टीवी रेडियो, डिजिटल/ ऑनलाइन संसाधनों की पहुंच में वृद्धि.
• पाठ्यपुस्तकों, वर्दी और MDM के प्रावधानों तक समय पर और आसान पहुंच सुनिश्चित करने करनी होगी.
• DBT के माध्यम से नामांकित CWSN लड़कियों को समय पर वजीफे का वितरण होना चाहिए.
स्कूल खुलने के बाद छात्रों को मिलने वाली सहायता
• स्कूलों को फिर से खोलने से पहले, प्रारंभिक अवधि के लिए मॉड्यूल की तैयारी की जाए ताकि छात्र स्कूल के माहौल में आसानी से घुल-मिल सकें और अकेलापन या तनाव महसूस न करें.
• छात्रों की पहचान, उनके सीखने के स्तर के आधार पर विभिन्न ग्रेड में होनी चाहिए.
• इस साल ड्रॉपआउट को रोकने के लिए डिटेंशन मानदंड में ढील दी जानी चाहिए.
शिक्षक क्षमता निर्माण पर ध्यान दें
• ऑनलाइन निष्ठा प्रशिक्षण मॉड्यूल का उपयोग किया जाना चाहिए. कोरोना प्रतिक्रियाशील व्यवहार के लिए ऑनलाइन प्रशिक्षण मॉड्यूल जल्द ही दीक्षा पोर्टल पर लॉन्च किया जाएगा.
• NCERT द्वारा तैयार किये गये वैकल्पिक शैक्षणिक कैलेंडर का उपयोग सीखने में बच्चों की दिलचस्पी के लिए किया जाना चाहिए.
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