टेरर फंडिंग पर नजर रखने वाली अंतरराष्ट्रीय संस्था फाइनेंशियल एक्शन टाक्स फोर्स (एफएटीएफ) के एशिया पैसिफिक ग्रुप (एपीजी) ने 23 अगस्त 2019 को पाकिस्तान को वैश्विक मानकों को पूरा करने में विफलता के लिए 'ब्लैकलिस्ट' में डाल दिया. यह फैसला ऑस्ट्रेलिया की राजधानी कैनबरा में दो दिन चली बैठक में किया गया. पाकिस्तान अभी तक एफएटीएफ की 'ग्रे' सूची में शामिल था.
दरअसल, एशिया पैसिफिक ग्रुप (एपीजी) के मानकों को पूरा करने में पाकिस्तान विफल साबित हुआ है. एफएटीएफ ने मनी लॉन्ड्रिंग एवं टेरर फाइनेंसिंग के 40 में से 32 पैरामीटर पर पाकिस्तान को अयोग्य पाया. इसके अतिरिक्त टेरर फंडिंग के विरुद्ध सुरक्षा उपायों के लिए 11 मापदंडों में से 10 को पूरा करने में पाकिस्तान विफल साबित हुआ है.
आगे क्या होगा?
पाकिस्तान अब अक्टूबर में ब्लैक लिस्ट हो सकता है, क्योंकि एफएटीएफ की 27-पॉइंट एक्शन प्लान की 15 महीने की समयावधि अक्टूबर 2019 में खत्म हो रही है. फाइनेंशियल एक्शन टास्क फोर्स (एफएटीएफ) पाकिस्तान को जून 2018 से संदिग्ध सूची में डाल चुका है.
पाकिस्तान के खिलाफ एपीजी की ओर से प्रतिकूल तथ्य पाए जाने के बाद अक्टूबर 2019 से उसे नकारात्मक रडार पर रखा जाएगा. पाक के लिए दिक्कतें अब और बढ़ेंगी. वो संदिग्ध सूची में बना रहेगा तथा उसे संभवत: काली सूची में डालने की प्रक्रिया भी शुरू हो जाएगी.
ब्लैकलिस्ट में आने से पाकिस्तान पर क्या होगा असर?
ब्लैक लिस्ट होने के बाद अब पाकिस्तान को दुनिया में कर्ज पाना और भी मुश्किल हो जाएगा. एफएटीएफ की ग्रे या ब्लैक लिस्ट में डाले जाने पर देश को अंतरराष्ट्रीय संस्थाओं से कर्ज मिलने में बहुत कठिनाई आती है. वहीं विदेशी निवेश पाने में भी इससे बहुत सी मुश्किलें आती है. ब्लैकलिस्ट होने से निवेशक निवेश नहीं करते है. आर्थिक हालात से गुजर रहे पाकिस्तान के लिए यह बहुत बड़ा मुसीबत माना जा रहा है.
एफएटीएफ क्या है?
वित्तीय कार्रवाई कार्यदल (Financial Action Task Force) एक अन्तरसरकारी संस्था है. यह संस्था काले धन को वैध बनाने (मनी लान्डरिंग) को रोकने से सम्बन्धित नीतियाँ बनाने हेतु काम करता है. इस संस्था की स्थापना साल 1989 में की गयी थी. इसका कार्यक्षेत्र साल 2001 में विस्तारित किया गया और आतंकवाद को धन मुहैया कराने के विरुद्ध नीतियाँ बनाना भी इसके कार्यक्षेत्र में सम्मिलित कर लिया गया. इसका सचिवालय पेरिस स्थित आर्थिक सहयोग और विकास संगठन के मुख्यालय में है.
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