इजराइल के लेखक डेविड ग्रॉसमैन को 14 जून 2017 को उनके नवीनतम उपन्यास ‘ए हार्स वॉक्स इनटू ए बार’ के लिए लंदन में 2017 का प्रतिष्ठित मैन बुकर इंटरनेशनल पुरस्कार हेतु चयनित किया गया.
ग्रॉसमैन ने अमोस ओज़ और पुरस्कार के चार अन्य दावेदारों को, जिसे विदेशी भाषा के उपन्यास लेखकों को अंग्रेजी में अनुवादित करने के लिए सम्मानित किया जाता है, को पीछे छोड़ते हुए यह सम्मान हासिल किया.
मैन बुकर पुरस्कार में 50 हजार पाउंड की राशि दी जाती है. यह राशि इस बार ग्रॉसमैन और अनुवादक जेसिका कोहेन में बराबर बंटेगी. पहले यह पुरस्कार आजीवन उपलब्धि के लिए दिया जाता था लेकिन पिछले वर्ष से इसे किसी पुस्तक के लिए दिया जाने लगा. वर्ष 2016 में यह पुरस्कार दक्षिण कोरिया के हानकांग को उनकी रचना ‘द वेजीटेरियन’ के लिए दिया गया था.
मैन बुकर पुरस्कार
मैन बुकर पुरस्कार की स्थापना वर्ष 1969 में इंग्लैंड की बुकर मैकोनल कंपनी द्वारा की गई थी. इस पुरस्कार के लिए पहले उपन्यासों की एक लंबी सूची तैयार की जाती है और फिर पुरस्कार वाले दिन की शाम के भोज में पुरस्कार विजेता की घोषणा की जाती है. वर्ष 2008 का मैन बुकर पुरस्कार भारतीय लेखक अरविन्द अडिगा को उनकी रचना व्हाइट टाइगर के लिए दिया गया था. यह पुरस्कार पांच बार भारतीय मूल के लेखकों को मिला है जिनमें वी एस नाइपॉल, अरुंधति राय, सलमान रश्दी और किरण देसाई शामिल हैं.
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