सुप्रीम कोर्ट ने 13 मार्च 2018 को एक महत्वपूर्ण फैसले में कहा कि विदेशी वकील, विदेशी लॉ फर्म और कंपनियां भारत में कानूनी प्रैक्टिस नहीं कर सकते.
जस्टिस आदर्श कुमार गोयल और जस्टिस उदय उमेश ललित की पीठ ने भारतीय विधिज्ञ परिषद (बीसीआई) की अपील का निपटारा करते हुए बॉम्बे और मद्रास उच्च न्यायालयों के फैसलों को मामूली संशोधनों के साथ बरकरार रखा.
सुप्रीम कोर्ट द्वारा दिए गए निर्देश:
• सुप्रीम कोर्ट ने ब्रिटेन, अमेरिका, फ्रांस और आस्ट्रेलिया की 30 कंपनियों की बात सुनते हुए कहा कि कानून सेवा प्रदाता ये विदेशी कंपनियां तथा विदेशी वकील भारत में विदेशी कानून के संदर्भ में अपने मुवक्किलों को सलाह दे सकते हैं, लेकिन केवल अस्थायी तौर पर.
• ये कंपनियां और ऐसे वकील, हालांकि स्थायी तौर पर कार्यालय खोलने के बजाय ‘आओ और जाओ’ (फ्लाई इन एंड फ्लाई आउट) की अवधारणा पर अमल करते हुए कानूनी सेवा मुहैया करा सकते हैं.
• सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि विदेशी वकील अंतरराष्ट्रीय व्यापारिक विवादों से संबंधित मध्यस्थता मामलों में पेश हो सकते हैं, लेकिन यह संबंधित संस्था के नियमों पर निर्भर करेगा.
• सुप्रीम कोर्ट ने बीसीआई और केंद्र को इसके लिए कायदे-कानून तैयार करने को कहा है.
भारतीय विधिज्ञ परिषद (बीसीआई) की दलील:
• भारतीय विधिज्ञ परिषद (बीसीआई) ने गत 10 जनवरी को न्यायालय में दलील दी थी कि विदेशी लॉ फर्म और विदेशी वकीलों को देश भारत में तब तक प्रैक्टिस की अनुमति नहीं दी जा सकती जब तक वे भारतीय नियमों पर खरा नहीं उतरते.
• बीसीआई की ओर से वरिष्ठ अधिवक्ता सीयू सिंह ने मद्रास उच्च न्यायालय के फैसले का पुरजोर विरोध किया था. उन्होंने दलील दी थी कि अधिवक्ता अधिनियम 1961 की शर्तों और बीसीआई के नियमों पर खरा उतरे बगैर कोई विदेशी कंपनी या वकील कानूनी वाद अथवा मध्यस्थता मामले में पेश नहीं हो सकता.
भारतीय विधिज्ञ परिषद:
भारतीय विधिज्ञ परिषद एक व्यावसायिक विनियामक संस्था है जो भारत में विधिक व्यवसाय एवं विधिक शिक्षा का नियमन करती है. यह एक स्वायत्त संस्थान है.
यह परिषद व्यावसायिक आचरण एवं शिष्टाचार एवं विधि शिक्षा के मानक तय करती है. इसकी स्थापना वर्ष 1961 में हुई थी.
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