परमाणु ऊर्जा आयोग के पूर्व अध्यक्ष श्रीकुमार बनर्जी का 23 मई 2021 को दिल का दौरा पड़ने से निधन हो गया. अधिकारियों ने बताया कि श्रीकुमार बनर्जी पिछले महीने ही कोरोना से ठीक हुए थे. वे 70 वर्ष के थे. वे साल 2012 में परमाणु ऊर्जा आयोग के अध्यक्ष और परमाणु ऊर्जा विभाग के सचिव पद से सेवानिवृत्त हुए थे.
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने परमाणु ऊर्जा आयोग के पूर्व अध्यक्ष श्रीकुमार बनर्जी को श्रद्धांजलि देते हुए कहा कि उन्हें भारतीय विज्ञान के क्षेत्र में अग्रणी योगदान के लिए हमेशा याद किया जाएगा. प्रधानमंत्री मोदी ने बनर्जी के निधन पर शोक व्यक्त करते हुए कहा कि वह एक उत्कृष्ट संरक्षक एवं संस्था निर्माता भी थे.
प्रधानमंत्री ने कहा कि श्रीकुमार बनर्जी को भारतीय विज्ञान के क्षेत्र में उनके अग्रणी योगदान के लिए हमेशा याद किया जाएगा, खासतौर पर परमाणु ऊर्जा एवं धातु विज्ञान के क्षेत्र में. वे एक उत्कृष्ट संरक्षक एवं संस्था निर्माता भी थे. उनके निधन से बेहद दुखी हूं. उनके परिवार के प्रति संवेदनाएं. ओम शांति.
Dr. Srikumar Banerjee will be remembered for his pioneering contributions to Indian science, especially in the areas of atomic energy and metallurgy. He was also an outstanding mentor and institution builder. Saddened by his passing away. Condolences to his family. Om Shanti.
— Narendra Modi (@narendramodi) May 23, 2021
श्रीकुमार बनर्जी: एक नजर में
श्रीकुमार बनर्जी साल 2010 तक छह साल के लिए भाभा परमाणु अनुसंधान केंद्र (बार्क) के निदेशक भी रहे. आईआईटी खड़गपुर के धातु विज्ञान इंजीनियर बनर्जी बीटेक की डिग्री लेने के बाद बार्क से जुड़े थे और इस प्रमुख वैज्ञानिक संस्थान के निदेशक पद तक पहुंचे.
श्रीकुमार बनर्जी का काम भौतिक धातु विज्ञान और धातु विज्ञान पर आधारित था. उन्हें कई पुरस्कारों से नवाजा गया. उन्हें अपने करियर में कई पुरस्कार मिले, इनमें साल 2005 में पद्मश्री और साल 1989 में शांति स्वरूप भटनागर पुरस्कार शामिल हैं.
बनर्जी को प्रेशराइज्ड हैवीवाटर रियेक्टरों में इस्तेमाल होने वाले दाब टयूब में इस्तेमाल होने वाले फैब्रीकेशन शेडयूल के विकास का आधार तैयार करने का श्रेय भी जाता है. बनर्जी ससेक्स यूनिवर्सिटी समेत दुनिया के अनेक शिक्षण संस्थानों में अतिथि प्रोफेसर भी रहे.
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