दिल्ली के पूर्व मुख्यमंत्री मदनलाल खुराना का लंबी बीमारी के बाद 27 अक्टूबर 2018 को दिल्ली में निधन हो गया. वे 82 वर्ष के थे. उनके परिवार में पत्नी, एक बेटा और दो बेटियां हैं. उनके एक बेटे का अगस्त 2018 में निधन हो गया था.
खुराना को छाती में संक्रमण था और पिछले कुछ दिनों से बुखार भी था. मदन लाल खुराना को वर्ष 2011 में ब्रेन हेमरेज हुआ था. इसके बाद से ही उनकी सेहत खराब चल रही थी.
राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और भाजपा अध्यक्ष अमित शाह सहित भाजपा व अन्य दलों के नेताओं ने खुराना के निधन पर गहरा शोक जताया है. भाजपा के वरिष्ठ नेता लालकृष्ण आडवाणी, केंद्रीय मंत्री सुषमा स्वराज, डॉ हर्षवर्धन और प्रदेश अध्यक्ष मनोज तिवारी समेत कई नेताओं ने उन्हें भावभीनी श्रद्धांजलि दी.
दो दिन की शोक:
दिल्ली सरकार ने खुराना के निधन पर दो दिन की शोक की घोषणा की है.
काफी समय से राजनीतिक से दूर:
बीमारी की वजह से मदन लाल लंबे समय से सक्रिय राजनीति से दूर थे. दिल्ली भाजपा में उनकी गिनती कद्दावर नेताओं में होती थी.
छात्र राजनीति की शुरुआत:
इलाहाबाद में ही उनकी छात्र राजनीति की शुरुआत हुई और इलाहाबाद विश्वविद्यालय छात्र संघ के महामंत्री भी चुने गए थे. वे वर्ष 1960 में अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद के सचिव बने. उन्होंने सक्रिय राजनीति में आने से पहले पीजीडीएवी कॉलेज में अध्यापन किया. वहीं पर प्रोफेसर विजय कुमार मल्होत्रा, केदारनाथ साहनी जैसे नेताओं के साथ मिलकर दिल्ली में जनसंघ को स्थापित किया. वे वर्ष 1965 से 67 तक जन संघ के महमंत्री भी रहे.
पार्टी को खड़ा करने में बड़ा योगदान:
वर्ष 1984 में जब भारतीय जनता पार्टी की बुरी तरह से हार हुई तब दिल्ली में फिर से पार्टी को खड़ा करने में मदन लाल खुराना का बड़ा योगदान था. इसी कारण उन्हें दिल्ली का शेर भी कहा जाता था. केंद्र में जब पहली बार भाजपा के नेतृत्व में सरकार बनी तो मदन लाल खुराना केंद्रीय मंत्री बने. उन्होंने भाजपा प्रदेश अध्यक्ष और पार्टी के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष की भी जिम्मेदारी निभाई.
मदन लाल खुराना के बारे में:
• मदन लाल खुराना का जन्म फैसलाबाद (अब पाकिस्तान) में 15 अक्टूबर 1936 को हुआ था. 12 वर्ष की उम्र में वे विभाजन के दौरान वे परिवार सहित भारत आये.
• वे 02 दिसम्बर 1993 से 26 फरवरी 1996 के दौरान दिल्ली के तीसरे मुख्यमंत्री रहे. इसके बाद 14 जनवरी 2004 से 1 नवम्बर 2004 के दौरान वे राजस्थान के राज्यपाल भी रहे.
• खुराना अटल बिहारी वाजपेयी सरकार में संसदीय कार्य मंत्री भी रहे थे. वे आरएसएस के भी सक्रिय सदस्य थे.
• उन्होंने वर्ष 2004 में सक्रिय राजनीति से खुद को अलग कर लिया था लेकिन कुछ साल बाद उन्होंने राजनीति में वापसी की थी.
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