ग्वाटेमाला के पूर्व सैन्य तानाशाह एफरेन रियोस मोंट का 01 अप्रैल 2018 को निधन हो गया. वे 91 वर्ष के थे.
वे वर्ष 1982 और वर्ष 1983 के बीच ग्वाटेमाला पर शासन करने वाले और पूर्व नरसंहार के आरोपों पर मुकदमे का सामना कर रहे. उनपर अपने छोटे से शासनकाल के दौरान 1771 स्वदेशी इक्सिल-माया लोगों की हत्या का आरोप था.
एफरेन रियोस मोंट को सजा:
• उन्हें वर्ष 2013 के एक मुकदमें में 80 साल की सजा सुनाई गई थी.
• इन्हें तब पहली बार लैटिन अमेरिकी पूर्व तानाशाह को नरसंहार के लिए दोषी ठहराया गया था.
• हालांकि इसके कुछ दिन बाद ही ग्वाटेमाला के संवैधानिक न्यायालय ने कुछ त्रुटि के कारण इस फैसले को उलट दिया था. साथ ही एक अन्य मुकदमे का आदेश दिया था.
• अदालत ने फिर वर्ष 2016 मे एक फैसला सुनाया था कि प्रत्येक व्यक्ति को अलग-अलग होने की कोशिश करनी चाहिए.
• एफरेन रियोस मोंट के वकीलों ने इस कार्यवाही को रोकने की मांग की थी. उनका तर्क था कि उनका स्वास्थ्य बहुत खराब है और वह पागलपन की बीमारी से पीड़ित हैं.
• संयुक्त राष्ट्र के मुताबिक ग्वाटेमाला के लंबे क्रूर गृहयुद्ध के दौरान 2 लाख लोग मारे गए थे.
एफरेन रियोस मोंट पर आरोप:
एफरेन रियोस मोंट पर स्वदेशी जनसंख्या के खिलाफ नई नीति का आयोजन करने का आरोप लगा था. जिसे गरीबों के साथ मिलकर सरकारी बलों के खिलाफ युद्ध छेड़ना माना जाता था. हालांकि एफरेन रियोस मोंट ने इन सभी आरोपों का खंडन किया था. उन्होंने कहा था कि मैंने कभी जाति धर्म के खिलाफ कभी कोई आदेश नहीं दिया था.
एफरेन रियोस मोंट:
• एफरेन रियोस मोंट मेक्सिको के पास ग्वाटेमाला के दूरदराज ह्वेहुतेनेंगो प्रांत में पैदा हुए थे.
• वे छोटी सी उम्र में ही सेना में शामिल हो गए थे.
• उन्होंने अमेरिका के रन स्कूल ऑफ अमेरिका में शिक्षा प्राप्त करते हुए लैटिन अमेरिकी अधिकारियों से असंतुष्ट होकर उनके खिलाफ कठोर रणनीति का इस्तेमाल किया.
• वे राजनीतिक में वर्ष 1974 में आगे आए.
• उन्हें ब्रिगेडियर जनरल के रूप में गठबंधन राष्ट्रपति पद के उम्मीदवार घोषित किया था.
• उन्हें इसमें भारी जीत मिली, लेकिन चुनावी धोखाधड़ी के चलते उन्हें यह पद लेने से रोका गया.
यह भी पढ़ें: कांची शंकराचार्य जयेंद्र सरस्वती का निधन
Comments
All Comments (0)
Join the conversation