राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने जम्मू-कश्मीर के पूर्व उप-राज्यपाल गिरीश चंद्र मुर्मू को 08 अगस्त 2020 को राष्ट्रपति भवन में भारत के नियंत्रक एवं महालेखा परीक्षक (सीएजी) पद की शपथ दिलाई. समारोह में उप-राष्ट्रपति वेंकैया नायडू और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी भी शामिल हुए.
जम्मू-कश्मीर के पूर्व उप-राज्यपाल गिरीश चंद्र मुर्मू को भारत का नया नियंत्रक एवं महालेखा परीक्षक (सीएजी) नियुक्त किया गया है. उन्होंने जम्मू-कश्मीर के पूर्व उप-राज्यपाल पद से एक दिन पहले इस्तीफ़ा दे दिया था जिसके बाद पूर्व केंद्रीय मंत्री मनोज सिन्हा को जम्मू-कश्मीर का उप-राज्यपाल बनाया गया है.
आईएएस अधिकारी गिरीश चंद्र मुर्मू को राजीव महर्षि की जगह सीएजी बनाया गया है. राजीव महर्षि का कार्यकाल 7 अगस्त को पूरा हो रहा है. राजीव महर्षि को साल 2017 में सीएजी नियुक्त किया गया था. उनका कार्यकाल तीन साल का रहा.
गिरीश चंद्र मुर्मू के बारे में
• आईएएस अधिकारी गिरीश चंद्र मुर्मू को पिछले वर्ष 29 अक्टूबर को राज्यपाल सत्यपाल मलिक को गोवा भेजे जाने के बाद जम्मू-कश्मीर का उप-राज्यपाल बनाया गया था.
• गिरीश चंद्र मुर्मू राज्य से केंद्र शासित प्रदेश बने जम्मू-कश्मीर के पहले उपराज्यपाल रहे. उन्हें 31 अक्टूबर 2019 को नियुक्त किया गया था. उनका कार्यकाल 9 महीने का रहा.
• गिरीश चंद्र मुर्मू ने 31 अक्टूबर 2019 को जम्मू-कश्मीर के पहले उप राज्यपाल के रूप में कार्यभार संभाला था.
• गिरीश चंद्र मुर्म 1985 बैच के गुजरात कैडर के आईएएस रहे हैं. गुजरात में तत्कालीन मुख्यमंत्री मोदी के प्रधान सचिव रहते हुए राज्य सरकार की सभी प्रमुख परियोजनाओं की निगरानी का जिम्मा सौंपा गया था.
• गिरीश चंद्र मुर्मू ओडिशा के सुंदरगढ़ के रहने वाले हैं. उन्होंने यूनिवर्सिटी ऑफ बर्मिंघम से एमबीए की पढ़ाई की. जम्मू और कश्मीर का उपराज्यपाल बनने के पहले वे वित्त विभाग में व्यय विभाग के सचिव थे.
सीएजी क्या है?
नियंत्रक एवं महालेखापरीक्षक (सीएजी) एक संवैधानिक पद है. सीएजी का काम सरकारी खातों और धन व्यय की जांच करना है. दरअसल, सरकार जो भी धन खर्च करती है, कैग उस खर्च की गहराई से जांच पड़ताल करता है और पता लगाता है कि धन सही से खर्च हुआ है या नहीं. यह केंद्र और राज्य सरकार दोनों के सार्वजनिक खातों और आकस्मिक निधि का परीक्षण करता है.
सीएजी का कार्यकाल छह वर्ष का होता है या फिर नियुक्त अधिकारी के 65 वर्ष की आयु तक. इनमें से जो भी पहले हो उसका पालन होता है. इसे लोक लेखा समिति का 'आंख व कान' कहा जाता हैं. यह भारत सरकार की रिपोर्ट राष्ट्रपति को और राज्य सरकार की रिपोर्ट राज्य के राज्यपाल को देता है.
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