फ्रांस ने 17 सितंबर, 2021 को यह घोषणा की है कि, वह अमेरिका, ब्रिटेन और ऑस्ट्रेलिया के बीच हालिया त्रिपक्षीय सुरक्षा समझौते के कारण, संयुक्त राज्य अमेरिका और ऑस्ट्रेलिया से अपने राजदूतों को वापस बुला रहा है जिसमें परमाणु-संचालित पनडुब्बियों का निर्माण शामिल है.
इंडो-पैसिफिक क्षेत्र में सैन्य खतरों का मुकाबला करने के लिए इस AUKUS सैन्य समझौते पर हस्ताक्षर किए गए थे और इसमें ऑस्ट्रेलिया को परमाणु ऊर्जा से चलने वाले पनडुब्बी बेड़े की डिलीवरी शामिल है. इन पनडुब्बियों का निर्माण UK और US के सहयोग से ऑस्ट्रेलिया में किया जाएगा.
हालांकि, यह समझौता, अमेरिकी परमाणु पनडुब्बियों के पक्ष में 40 बिलियन डॉलर फ्रांसीसी पनडुब्बी अनुबंध को रद्द कर देता है. फ्रांस के विदेश मंत्री जीन-यवेस ले ड्रियन ने अपने बयान में इस निर्णय को "पीठ में छुरा घोंपा" के तौर पर उल्लिखित किया है. चीनी विदेश मंत्रालय के एक प्रवक्ता ने भी यह कहा है कि, यह AUKUS समझौता "क्षेत्रीय शांति और स्थिरता को गंभीर रूप से नुकसान पहुंचाता है" और "हथियारों की दौड़ को तेज करता है."
अटैक क्लास पनडुब्बी कार्यक्रम को रद्द करने से हमारे गठबंधनों के बारे में हमारे दृष्टिकोण पर सीधा असर पड़ा है: फ्रांस के विदेश मंत्री ने दिया बयान
फ्रांस ने मित्र देशों की ओर से हुए इस "अस्वीकार्य व्यवहार" का हवाला देते हुए, ऑस्ट्रेलिया और संयुक्त राज्य अमेरिका से अपने राजदूतों को वापस बुला लिया है. फ्रांस के विदेश मंत्री जीन-यवेस ले ड्रियन ने एक लिखित बयान में यह कहा है कि, "राष्ट्रपति इमैनुएल मैक्रॉन के अनुरोध पर - अपने राजदूतों को वापस बुलाने का फ्रांसीसी निर्णय - ऑस्ट्रेलिया और संयुक्त राज्य अमेरिका द्वारा 15 सितंबर की गई उक्त घोषणाओं की असाधारण गंभीरता के कारण सर्वथा उचित है".
यह घोषणा अमेरिका, ब्रिटेन और ऑस्ट्रेलिया द्वारा AUKUS नामक अपने नए त्रिपक्षीय रक्षा समझौते के संबंध में दिए गए एक संयुक्त बयान को संदर्भित करती है, जो उन्नत तकनीकों, कृत्रिम बुद्धिमत्ता में विशेषज्ञता, साइबर अंडरवाटर सिस्टम और इन तीन देशों के बीच लंबी दूरी की क्षमताओं को साझा करने में सक्षम होगी.
इन नेताओं ने साझा किया कि, यह नई सुरक्षा साझेदारी मुख्य रूप से हिंद-प्रशांत क्षेत्र में राजनयिक, सुरक्षा और रक्षा सहयोग को गहरा करने पर केंद्रित होगी. हालांकि, यह नया त्रिपक्षीय सुरक्षा कार्यक्रम फ्रांस और ऑस्ट्रेलिया के बीच हस्ताक्षर किए गए पिछले 40 बिलियन डॉलर के पनडुब्बी सौदे को प्रभावी ढंग से रद्द कर देता है.
ऑस्ट्रेलिया में फ्रांस के राजदूत, जीन-पियरे थेबॉल्ट ने भी स्वदेश जाने से पहले एक बयान में यह कहा कि, "यह एक बहुत बड़ी गलती है, साझेदारी का एक बहुत ही खराब संचालन है."
फ्रांस-ऑस्ट्रेलिया शस्त्र सौदा, 2016
फ्रांस और ऑस्ट्रेलिया ने कथित तौर पर वर्ष, 2016 में एक हथियार समझौते पर हस्ताक्षर किए थे, जिसे फ्रांस में "सदी के अनुबंध" के रूप में प्रस्तुत किया जा रहा था. ऑस्ट्रेलिया ने वर्ष, 2016 में यह घोषणा की थी कि, फ्रांस की DCNS कंपनी ने अगली पीढ़ी की पनडुब्बियों के निर्माण के लिए जर्मनी और जापान की कंपनियों को पछाड़ दिया है.
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