World Energy Outlook 2022: इंटरनेशनल एनर्जी एजेंसी (IEA) ने हाल ही में 'वर्ल्ड एनर्जी आउटलुक रिपोर्ट 2022 जारी की है जिसमें कहा गया है कि 2025 में ग्लोबल इमिशन (global emissions) चरम पर होगा. जिसे क्लीन एनर्जी ट्रांजिशन के लिए खतरे के रूप में देखा जा रहा है. साथ ही इसे नेट जीरो इमिशन के लक्ष्य के लिए भी एक खतरे का सूचक है.
इंटरनेशनल एनर्जी एजेंसी द्वारा जारी इस रिपोर्ट में लेटेस्ट ऊर्जा डेटा और बाजार के विकास के आधार को शामिल किया गया है. 'वर्ल्ड एनर्जी आउटलुक रिपोर्ट में कई ऐसे डेटा शामिल है जो ग्लोबल नेट जीरो इमिशन के लक्ष्य के विपरीत है. इसमे आगे आने वाले ऊर्जा सुरक्षा जोखिमों को भी शामिल किया गया है.
World Energy Outlook 2022 is out!
— Fatih Birol (@fbirol) October 27, 2022
It shows energy markets & policies are changing profoundly as a result of Russia’s invasion of Ukraine
Today’s crisis promises to be a historic turning point towards a cleaner & more secure energy system
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ऊर्जा संकट में अतीत की गूँज जरुर होती है, जैसा की 1970 के दशक के तेल के संकट के समय देखा गया था. लेकिन आज का वैश्विक ऊर्जा संकट पहले की तुलना में काफी व्यापक और अधिक जटिल है जो नीति निर्माताओं के सामने एक नई चुनौती पेश कर रहा है.
'वर्ल्ड एनर्जी आउटलुक रिपोर्ट 2022 की प्रमुख बातें:
- एनर्जी डिमांड: वर्ष 2040 तक ऊर्जा सेवाओं की बढ़ती मांग आर्थिक विकास पर टिकी है, जो पिछले साल के आउटलुक की तुलना में 2030 तक कम है, लेकिन 2050 तक प्रति वर्ष औसतन 2.8% रही है.
- उपभोक्ताओं से उत्पादकों को भारी हस्तांतरण: तेल की कीमतें पहले भी अधिक रही है लेकिन 2022 में प्राकृतिक गैस के आयात बिल रिकॉर्ड स्तर पर रहे है. जो ग्लोबल ऊर्जा के लिए गलत सन्देश दे रहा है.
- 2050 तक नेट जीरो इमिशन: इसका लक्ष्य वैश्विक औसत तापमान में 1.5 डिग्री सेल्सियस स्थिरीकरण प्राप्त करने और प्रमुख ऊर्जा-संबंधित संयुक्त राष्ट्र सतत विकास लक्ष्यों को पूरा करने का एक तरीका है.
- लगभग 75 मिलियन लोग जिन्होंने हाल ही में बिजली तक पहुंच प्राप्त की है, ऐसे लोगों के लिए यह ऊर्जा संकट अधिक चुनौती पेश करेगा.
- इस रिपोर्ट में कहा गया है कि घोषित नीतियों के परिदृश्य (STEPS) में, वैश्विक ऊर्जा मांग वृद्धि लगभग 1% प्रति वर्ष 2030 तक लगभग पूरी तरह से नवीकरणीय ऊर्जा द्वारा पूरी की जानी है.
- इस रिपोर्ट के अनुसार ग्लोबल एनर्जी मार्केट और ग्लोबल इकोनोमिक के लिए आगे आने वाला समय काफी चुनौतीपूर्ण है.
रूस-यूक्रेन युद्ध का असर:
यूक्रेन पर रूस के आक्रमण ने विशेष रूप से प्राकृतिक गैस के लिए ऊर्जा बाजारों में असाधारण अस्थिरता ला दी है, जो आज एक वैश्विक चुनौती बन गया है. यूक्रेन पर रूस के आक्रमण से उत्पन्न वैश्विक ऊर्जा संकट का अर्थव्यवस्थाओं और लोगों पर दूरगामी प्रभाव पड़ रहा है साथ ही सरकारें भविष्य के ऊर्जा जरूरतों के लिए चिन्तित भी है.
'वर्ल्ड एनर्जी आउटलुक रिपोर्ट के बारें में:
'वर्ल्ड एनर्जी आउटलुक रिपोर्ट को ऊर्जा का विश्व में सबसे सटिक और आधिकारिक स्रोत माना जाता है. इसे पहली बार वर्ष 1998 में जारी किया गया था. इसका डेटा और निष्पक्ष विश्लेषण वैश्विक ऊर्जा आपूर्ति और विभिन्न परिदृश्यों में मांग और ऊर्जा सुरक्षा, जलवायु लक्ष्यों और आर्थिक विकास के प्रभावों में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है.
अंतर्राष्ट्रीय ऊर्जा एजेंसी:
अंतर्राष्ट्रीय ऊर्जा एजेंसी की स्थापना वर्ष 1974 में पेरिस (फ्राँस) में की गयी थी जो एक अंतर-सरकारी संगठन है. इसके गठन का उद्देश्य ऊर्जा नीतियों पर ध्यान केंद्रित करना था जिसमे आर्थिक विकास, पर्यावरण संरक्षण, ऊर्जा सुरक्षा आदि शामिल है. भारत मार्च 2017 से IEA का एक सहयोगी सदस्य है, हालांकि भारत पहले भी इसके साथ काम कर रहा था. साथ ही IEA ने 2021 में भारत को पूर्ण सदस्य के रूप शामिल होने के लिए आमन्त्रित किया है.
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