गोपाल श्रेष्ठ माउंट एवरेस्ट पर चढ़ने वाले पहले एचआईवी संक्रमित पर्वतारोही बने

May 24, 2019, 11:10 IST

गोपाल श्रेष्ठ को 25 साल पहले संक्रमित इंजेक्शन लगने की वजह से एचआईवी हो गया था. नेपाल की समाचार एजेंसी राष्ट्रीय समाचार समिति के अनुसार, गोपाल श्रेष्ठ ने 23 मई 2019 को सुबह 8.15 बजे 8848 मीटर ऊंचे माउंट एवरेस्ट के शीर्ष पर कदम रखा.

Gopal Shrestha Becomes First HIV-Infected Climber To Climb Mount Everest in hindi
Gopal Shrestha Becomes First HIV-Infected Climber To Climb Mount Everest in hindi

नेपाल के रहने वाले गोपाल श्रेष्ठ 22 मई 2019 को दुनिया की सबसे ऊंची चोटी माउंट एवरेस्ट पर चढ़ने वाले पहले एचआईवी संक्रमित व्यक्ति बन गए. नेपाल की राष्ट्रीय फुटबाल टीम के खिलाड़ी रह चुके श्रेष्ठ ने यह उपलब्धि अपने दूसरे प्रयास में हासिल की.

गोपाल श्रेष्ठ को 25 साल पहले संक्रमित इंजेक्शन लगने की वजह से एचआईवी हो गया था. नेपाल की समाचार एजेंसी राष्ट्रीय समाचार समिति के अनुसार, गोपाल श्रेष्ठ ने 22 मई 2019 को सुबह 8.15 बजे 8848 मीटर ऊंचे माउंट एवरेस्ट के शीर्ष पर कदम रखा.

एचआईवी (ह्युमन इम्युनडिफिशिएंशी वायरस) या एक विषाणु है जो शरीर की रोग-प्रतिरक्षा प्रणाली पर प्रहार करता है और संक्रमणों के प्रति उसकी प्रतिरोध क्षमता को धीरे-धीरे कम करता जाता है. यह लाइलाज बीमारी एड्स का कारण है. इसमें उच्च आनुवंशिक परिवर्तनशीलता का गुण है. यह विशेषता इसके उपचार में बहुत बड़ी बाधा उत्पन्न करता है. एचआईवी की उपस्थिति का पता लगाने के लिये रक्त-उत्पादों की जांच करने के कारण रक्ताधान अथवा संक्रमित रक्त-उत्पादों के माध्यम से होने वाला संचरण विकसित विश्व में बड़े पैमाने पर कम हो गया है.

दूसरा प्रयास:

गोपाल श्रेष्ठ का माउंट एवरेस्ट फतेह करने का यह दूसरा प्रयास था. उन्होंने साल 2015 में पहला प्रयास किया था, लेकिन भूकंप आने के कारण एवरेस्ट बेस कैंप से उन्हें वापस लौटना पड़ा था.

गोपाल श्रेष्ठ का यह दूसरा प्रयास उनके 'स्टेप-अप अभियान: एवरेस्ट मुहिम का दूसरा चरण' का हिस्सा था. इसके तहत वह समाज और देश में एचआईवी से प्रभावित बच्चों को बेहतर शिक्षा प्रदान करने के लिए जागरूकता फैलाते हैं.

गोपाल श्रेष्ठ ने अपनी इस सफलता से यह साबित कर दिया है कि एचआईवी से पीड़ित व्यक्ति भी हर तरह की चुनौती का सामना कर सकते हैं.

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माउंट एवरेस्ट के बारे में:

नेपाल में माउंट एवरेस्ट को स्थानीय लोग सागरमाथा (स्वर्ग का शीर्ष) नाम से भी जानते हैं. तिब्बत में इसे सदियों से चोमोलंगमा अर्थात पर्वतों की रानी के नाम से जाना जाता है. इसे पीक-15 नाम भी दिया गया था.

ब्रिटिशों ने विश्व के सर्वोच्च पर्वतों को निर्धारित करने के लिए साल 1808 में भारत का महान त्रिकोणमितीय सर्वे को शुरु किया था.

यह पर्वत चोटी पर्वतारोहियों के लिए सदैव आकर्षण का केंद्र रही है. यहाँ प्राकृतिक खतरे, ऊँचाई पर होने वाली कमजोरी, मौसम और हवा ऊपर चढ़ने में मुश्किलें पैदा करते हैं. न्यूजीलैंड के एडमंड हिलेरी 29 मई 1953 को माउंट एवरेस्ट सबसे पहली चढ़ाई की.

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Vikash Tiwari is an content writer with 3+ years of experience in the Education industry. He is a Commerce graduate and currently writes for the Current Affairs section of jagranjosh.com. He can be reached at vikash.tiwari@jagrannewmedia.com
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