गोतबया राजपक्षे श्रीलंका के राष्ट्रपति बने, जानें भारत पर क्या पड़ेगा असर

Nov 18, 2019, 12:03 IST

गोतबया राजपक्षे ने सत्तारूढ़ 'न्यू डेमोक्रेटिक फ्रंट' (एनडीएफ) के उम्मीदवार सजित प्रेमदासा को बड़े अंतर से पराजित कर दिया है. गोतबया राजपक्षे का जन्म 20 जून 1949 को श्रीलंका में हुआ था.

Gotbaya Rajapaksa
Gotbaya Rajapaksa

गोतबया राजपक्षे ने श्रीलंका में राष्ट्रपति का चुनाव जीत लिये है. वे श्रीलंका के आठवें राष्ट्रपति चुने गये. बहुसंख्यक सिंहली बौद्ध उन्हें 'युद्ध नायक' मानते हैं, जबकि बहुसंख्यक तमिल अल्पसंख्यक उन्हें अविश्वास से देखते हैं.

गोतबया राजपक्षे ने सत्तारूढ़ 'न्यू डेमोक्रेटिक फ्रंट' (एनडीएफ) के उम्मीदवार सजित प्रेमदासा को बड़े अंतर से पराजित कर दिया है. इस्लामिक स्टेट के प्रति आदर रखने वाले इन आतंकवादियों ने तीन चर्चों एवं तीन होटलों में आत्मघाती बम विस्फोट में करीब 269 लोगों को मार डाला.

गोतबया राजपक्षे के बारे में

• गोतबया राजपक्षे का जन्म 20 जून 1949 को श्रीलंका में हुआ था.

• वे श्रीलंका के पूर्व राष्ट्रपति तथा मौजूदा विपक्ष के नेता महिंदा राजपक्षे के छोटे भाई है.

• पूर्व रक्षा सचिव गोतबया राजपक्षे साल 2009 में श्रीलंका में गृहयुद्ध के अंतिम दौर में तमिल विद्रोह को कुचलने में महत्वपूर्ण भूमिका रही थी.

• वे एक सेवानिवृत्त सैन्यकर्मी हैं. उन्होंने अपने बड़े भाई महिंदा राजपक्षे के राष्ट्रपति (2005-2015) बनने पर श्रीलंकाई रक्षा विभाग की अहम जिम्मेदारी संभाली.

• उन्होंने साल 1983 में मद्रास विश्वविद्यालय से रक्षा अध्ययन में स्नातकोत्तर की पढ़ाई पूरी की.

• उन्होंने अपने बड़े भाई महिंदा राजपक्षे की सरकार के महत्वपूर्ण सदस्य रह चुके हैं. इन दोनों को साल 2009 में दशकों पुराने गृह युद्ध को समाप्त करने का बहुत बड़ा श्रेय जाता है.

• उन्होंने भारत में साल 1980 के दशक में विद्रोह एवं जंगल युद्ध का मुकाबला करने हेतु प्रशिक्षण प्राप्त किया था.

• श्रीलंका ने जब साल 2009 में लिबरेशन टाइगर्स ऑफ तमिल ईलम (लिट्टे) के साथ अपना युद्ध समाप्त किया था तब वे रक्षा विभाग के प्रमुख रहे थे.

भारत पर प्रभाव

चुनाव परिणामों का भारत पर प्रभाव पड़ेगा क्योंकि चीन तेजी से हिंद प्रशांत क्षेत्र में अपनी उपस्थिति बढ़ा रहा है. गोतबया राजपक्षे को चीन समर्थक राजनीतिज्ञ माना जाता है. गोतबया राजपक्षे की जीत चीन हेतु बड़ा फायदेमंद हो सकती है क्योंकि उनके बड़े भाई महिंदा राजपक्षे के सत्ता में रहते हुए चीन ने श्रीलंका में खूब निवेश किया था.

कोलंबो बंदरगाह को भी विकसित करने में चीन ने बहुत बड़ी भूमिका निभाई है. राजपक्षे साल 2015 तक श्रीलंका की सत्ता में रहे थे. महिंदा राजपक्षे ने चीन से अरबों डॉलर का उधार लिया था और अपने मुख्य कोलंबो बंदरगाह के द्वार चीनी युद्धपोतों के लिए खोल दिये थे. राजपक्षे ने साल 2014 में दो चीनी पनडुब्बियों को भी इस क्षेत्र में खड़े होने की अनुमति दी थी.

Vikash Tiwari is an content writer with 3+ years of experience in the Education industry. He is a Commerce graduate and currently writes for the Current Affairs section of jagranjosh.com. He can be reached at vikash.tiwari@jagrannewmedia.com
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