केंद्र सरकार ने रुपये की कीमत में स्थिरता लाने के लिए पांच उपायों की घोषणा की

केन्द्र सरकार द्वारा किये गये प्रयासों के तहत चालू खाता घाटा (जो अगस्त में 17.4 बिलियन डॉलर था) को कम करने के लिये सरकार गैर-आवश्यक सामानों के आयात में कमी लाने का प्रयास करेगी.

Sep 17, 2018, 15:22 IST
Government announces 5 measures to rescue sliding rupee
Government announces 5 measures to rescue sliding rupee

पिछले कुछ समय से डॉलर के मुकाबले रुपये के गिरते स्तर में सुधार हेतु केंद्र सरकार ने रुपये के मूल्य में स्थिरता लाने तथा चालू खातों के घाटे को कम करने के लिए कुछ उपायों की घोषणा की है. इसका लक्ष्य घाटे में कमी लाकर अर्थव्यवस्था को पटरी पर लाना है.

रुपये स्थिरता हेतु किये गये उपाय

1. अनावश्यक आयात पर कटौती: गैर जरूरी आयात को नियंत्रित करने और निर्यात को बढ़ावा देने के उपाय किये गये हैं. चालू खाता घाटा को कम करने के लिये सरकार गैर-आवश्यक सामानों के आयात में कमी लाने का प्रयास करेगी.

2. विदेशी पोर्टफोलियो निवेशकों पर लगे प्रतिबंधो की समीक्षा: विदेशी वाणिज्यिक उधारी (ईसीबी) से संबंधित नियमों को आसान बनाने से लेकर कॉरपोरेट बांड बाजार में विदेशी पोर्टफोलियो निवेशकों की भागीदारी को बढ़ावा देने के उपाय किये गये हैं. इसके तहत एक कॉर्पोरेट इकाई में एफपीआई द्वारा किया जाने वाला निवेश उनके कॉर्पोरेट बॉण्ड पोर्टफोलियो के 20% से अधिक नहीं हो सकता है. एफपीआई जारी किये गए किसी भी कॉर्पोरेट बॉण्ड में 50% से अधिक निवेश नहीं कर सकते हैं.

3. मसाला बॉण्ड जारी करने वाले बैंकों प्रतिबंध नहीं: भारतीय निगमों को मसाला बॉण्ड की खरीद में वृद्धि करने के लिये सरकार 31 मार्च, 2019 तक मसाला बॉण्ड जारी करने वाले सभी बैंकों को छूट प्रदान करेगी.

मसाला बॉण्ड भारत के बाहर जारी किये गए बॉण्ड होते हैं, लेकिन स्थानीय मुद्रा की बजाय इन्हें भारतीय मुद्रा में निर्दिष्ट किया जाता है. डॉलर बॉण्ड के विपरीत (जहाँ उधारकर्त्ता को मुद्रा जोखिम उठाना पड़ता है) मसाला बॉण्ड में निवेशकों को जोखिम उठाना पड़ता है. नवंबर 2014 में विश्व बैंक के इंटरनेशनल फाइनेंस कॉरपोरेशन द्वारा पहला मसाला बॉण्ड जारी किया गया था.

4. विनिर्माण कंपनियों को 5 करोड़ डॉलर तक की ईसीबी को एक्सेस करने की अनुमति: ईसीबी के माध्यम से 50 मिलियन डॉलर तक की उधार लेने वाली विनिर्माण कंपनियाँ केवल एक वर्ष की अवधि के लिये ऐसा करने में सक्षम होंगी. उल्लेखनीय है कि पहले यह अनुमति तीन साल की अवधि के लिये थी.

5. बाह्य वाणिज्यिक उधार के संदर्भ में आधारभूत संरचना ऋण हेतु अनिवार्य हेजिंग शर्तों की समीक्षा: बाह्य वाणिज्यिक उधार मार्ग के माध्यम से आधारभूत संरचना ऋण के लिये अनिवार्य हेजिंग (वित्तीय हानि से बचाव) स्थितियों की समीक्षा की जाएगी. गौरतलब है कि वर्तमान में इन ऋणों को संभालने के लिये उधारकर्त्ताओं पर कोई बाध्यता नहीं है.

Gorky Bakshi is a content writer with 9 years of experience in education in digital and print media. He is a post-graduate in Mass Communication
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