मोदी सरकार ने हाल ही में भारत-चीन सीमा पर तनाव के बीच देश की सैन्य ताकत को मजबूत करने हेतु बड़ा कदम उठाया है. रक्षा अधिग्रहण परिषद (DAC) ने लड़ाकू विमानों और हथियारों की खरीद के प्रस्ताव को मंजूरी दे दी है. केंद्र सरकार लद्दाख में चीन के साथ बढ़ते तनाव के बीच लगातार सेना की ताकतों को और मजूबत करने में जुटी है.
केंद्र सरकार ने 33 लड़ाकू जेट विमान समेत कई तरह के रक्षा उपकरण खरीदने की योजना बनाई है. इस रक्षा खरीद पर कुल मिलाकर 38,900 करोड़ रुपये का खर्च आ सकता है. रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह की अध्यक्षता में 02 जुलाई 2020 को हुई रक्षा अधिग्रहण परिषद की बैठक में इस पर मुहर लग गई है.
33 लड़ाकू जेट विमान
रक्षा अधिग्रहण परिषद की बैठक में 21 मिग-29 और 12 सुखोई (एसयू-30 एमकेआई) लड़ाकू विमानों की खरीद के प्रस्ताव को मंजूरी दे दी है. इसके साथ ही 59 मिग-29 लड़ाकू विमानों के अपग्रेडेशन की भी मंजूरी दी गई है. दोनों देशों के बीच होने वाली इस बड़ी और महत्वपूर्ण डील का फैसला रक्षा अधिग्रहण परिषद ने लिया है.
मिग-29 लड़ाकू विमानों की खरीद रूस से की जाएगी
रूस से मिग-29 लड़ाकू विमानों की खरीद की जाएगी. साथ ही मौजूदा मिग-21 लड़ाकू विमानों का अपग्रेडेशन भी से रूस से कराया जाएगा. इस पर लगभग 7 हजार 418 करोड़ रुपये खर्च होंगे. वहीं, एसयू-30 एमकेआई लड़ाकू विमानों को HAL से खरीदा जाएगा, जिन पर 10 हजार 730 करोड़ रुपये खर्च होंगे.
248 अस्त्र एयर मिसाइल की खरीदी की मंजूरी
रक्षा मंत्रालय ने 248 अस्त्र एयर मिसाइल की खरीदी की भी मंजूरी दी है. यह भारतीय वायु सेना और नौसेना दोनों के काम आ सकेगी. इसके साथ ही डीआरडीओ द्वारा बनाई गई एक हजार किलोमीटर रेंज वाली क्रूज मिसाइल के डिजाइन को भी मंजूरी मिल गई है.
38,900 करोड़ रुपये के प्रस्ताव की मंजूरी
रक्षा अधिग्रहण परिषद ने 38,900 करोड़ रुपये के प्रस्तावों को मंजूरी दी जिसमें से 31,130 करोड़ रुपये का अधिग्रहण भारतीय इंडस्ट्री से होगा. पिनाका रॉकेट लॉन्चर, बीएमपी कॉम्बैट व्हीकल अपग्रेड और सेना के लिए सॉफ्टवेयर डिफाइन्ड रेडियो को भी मंजूरी दी गई है.
स्वदेशी डिजाइन पर फोकस
लड़ाकू विमानों और हथियारों की खरीद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के 'आत्मनिर्भर भारत' को ध्यान में रखकर किया जाएगा. लिहाजा स्वदेशी डिजाइन पर फोकस करते हुए भारतीय उद्योग को भी अधिग्रहण में शामिल किया जाएगा. रक्षा उपकरणों को भारतीय रक्षा उद्योग के साथ मिलकर भारत में बनाया जाएगा. इसमें एमएसएमई की भी भागीदारी होगी.
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