केंद्र सरकार ने 13 फरवरी 2018 को सशस्त्र बलों के लिए कुछ आवश्यक हथियार खरीदने हेतु योजना को मंजूरी प्रदान की. रक्षा मंत्री निर्मला सीतारमण की अध्यक्षता में हुई रक्षा खरीद परिषद ने 15,935 करोड़ के रक्षा सौदों को अपनी मंजूरी प्रदान की है. इसमें सीमावर्ती क्षेत्रों में तैनात सैनिकों के बेहतर निजी हथियार मुहैया कराने पर खासा ध्यान दिया गया है.
सरकार द्वारा जारी प्रेस विज्ञप्ति में कहा गया कि इस सूची में लाइट मशीन गन, असॉल्ट राइफल्स और स्नाइपर राइफल्स आदि शामिल हैं. इन हथियारों की खरीद "फास्ट ट्रैक प्रक्रिया" के माध्यम से हासिल की जाएगी.
हथियार खरीद योजना के प्रमुख तथ्य
• इनमें 1,819 करोड़ की लागत से सेना के लिए लाइट मशीन गन्स की फास्ट ट्रैक आधार पर खरीद को मंजूरी दी गई है.
• रक्षा खरीद परिषद ने सेना के तीनों अंगों के लिए 12,280 करोड़ की लागत से 7.4 लाख असाल्ट राइफल्स की खरीद को भी मंजूरी प्रदान की है.
• साथ ही परिषद ने सेना और वायुसेना के लिए 982 करोड़ में 5719 स्नाइपर राइफल्स की खरीद को भी स्वीकृति प्रदान की है.
• शुरुआत में इन हथियारों का गोला बारूद भी ख़रीदा जायेगा लेकिन बाद में इसे देश में ही निर्मित किया जायेगा.
• भारतीय नौसेना कि पनडुब्बी रोधी क्षमता को बढ़ाने के लिए मारीच सिस्टम की खरीदारी को भी मंजूरी दी गई है.
• भारतीय रक्षा अनुसंधान एवं विकास संगठन (डीआरडीओ) ने देश में ही इस सिस्टम का विकास किया है और इसका ट्रायल सफलतापूर्वक पूरा हो चुका है. मारीच सिस्टम को भारत इलेक्ट्रॉनिक्स लिमिटेड बेंगलुरु द्वारा 850 करोड़ रुपये की लागत से तैयार किया जायेगा.
पृष्ठभूमि
सीमा पर तैनात जवानों को दुश्मन से टक्कर लेने के लिए अत्याधुनिक हथियारों से लैस करने की मांग लंबे समय से थी. सशस्त्र बलों ने 11 वर्ष पहले नई बंदूकों की आवश्यकता को लेकर अपनी मांग रखी थी. पिछले महीने, सरकार की खरीद पर सर्वोच्च निर्णय लेने वाली संस्था, रक्षा अधिग्रहण परिषद ने कुछ हथियार खरीदने का निर्णय लिया था. इस प्रक्रिया में सीमावर्ती क्षेत्रों में तैनात सैनिकों के बेहतर निजी हथियार मुहैया कराने पर खासा ध्यान दिया गया है.
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