केंद्र सरकार ने 30 जून 2020 को अगले छह महीने के लिए यानी दिसंबर तक पूरे नगालैंड को 'अशांत क्षेत्र' घोषित किया. गृह मंत्रालय ने एक अधिसूचना जारी कर कहा है कि केंद्र सरकार का मानना है कि पूरे नागालैंड में परिस्थितियां इतनी परेशान करने वाली और खतरनाक हैं कि आम जनमानस की मदद एवं सुरक्षा हेतु सशस्त्र बलों की सहायता की आवश्यकता है.
गृह मंत्रालय ने कहा कि इन हालातों को देखते हुए सशस्त्र बल (विशेष शक्तियां) अधिनियम, 1958 (आफस्पा) की धारा तीन द्वारा प्रदान की गई शक्तियों का प्रयोग करते हुए केंद्र सरकार ने घोषणा की है कि 30 जून 2020 से छह महीने की अवधि के लिए पूरे राज्य को 'अशांत क्षेत्र' माना जाएगा.
जवानों के शिविर पर हुआ हमला था
असम राइफल्स के जवानों ने साल 2019 में नागालैंड में मोन जिले के पुराने और नए चेनलोइशो गांव के बीच स्थित अपने शिविर पर नेशनल सोशलिस्ट ऑफ नागालैंड-खापलांग द्वारा किए गए हमले को नाकाम कर दिया था. यहां जवानों के शिविर पर एनएससीएन-के द्वारा असम राइफल्स के शिविर पर हमला किया गया था.
पहले भी कई बार लग चुका है अफस्पा
नागालैंड राज्य में लगातार हो रहे आंतरिक विद्रोह और आतंकी गतिविधियों के चलते राज्य को पहले भी अनेक बार अशांत क्षेत्र घोषित किया जा चुका है. नगालैंड में लंबे समय से अलगववादी आंदोलन चल रहा है और ये आंदोलन कई गुटों में बंटा है. एनएससीएन (आई-एम) ने अलग झंडे और संविधान की भी मांग की थी जिसे केंद्र सरकार ने खारिज कर दिया था.
सशस्त्र बल विशेषाधिकार कानून (अफस्पा) के बारे में
अफ्सपा कानून के तहत सेना के जवानों को किसी भी व्यक्ति की तलाशी केवल संदेह के आधार पर लेने का अधिकार प्राप्ता है. गिरफ्तारी के दौरान सेना के जवान उस व्यक्ति के घर में घुस कर संदेह के आधार पर तलाशी ले सकते हैं.
सशस्त्र बल विशेषाधिकार कानून (अफ्सपा) के तहत सेना के जवानों को कानून तोड़ने वाले व्यक्ति पर फायरिंग का भी पूरा अधिकार प्राप्त है. संविधान लागू किये जाने के बाद से ही भारत के पूर्वोत्तर राज्यों में बढ़ रहे अलगाववाद, हिंसा और विदेशी आक्रमणों से प्रतिरक्षा के लिए मणिपुर और असम में वर्ष 1958 में अफस्पा लागू किया गया था.
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