प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अगुवाई में केंद्र सरकार ने रक्षा योजना समिति (Defence Planning Committee) गठित करने की घोषणा की. राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार अजीत डोवाल इस समिति के अध्यक्ष होंगे. यह समिति मुख्य रूप से देश की सैन्य और सुरक्षा रणनीति, क्षमता विकास योजनाओं और रक्षा उपकरण अधिग्रहण जैसे कार्यक्रमों को गति प्रदान करेगी.
यह समिति, एक स्थायी विभाग होगा जो राष्ट्रीय सुरक्षा रणनीति तैयार करेगा तथा अंतरराष्ट्रीय स्तर पर भारत के रक्षा संबंधों की निगरानी करेगा. यह समिति अन्य उप-समितियों के साथ मिलकर कार्य करेगी.
रक्षा योजना समिति के गठन का उद्देश्य
केंद्र सरकार ने इस समिति का गठन रक्षा योजना और रणनीति को समन्वित तरीके से तैयार करने और सुरक्षा प्राथमिकताओं को सरकार के समक्ष रखने के लिए तैयार किया है. यह समिति मंत्रालयों से समन्वय स्थापित कर राष्ट्रीय सुरक्षा लक्ष्यों पर काम करेगी. इसके माध्यम से सरकार नागरिक और सैन्य एजेंसियों के बीच समन्वय स्थापित करके रक्षा रणनीति को तैयार करने का काम करेगी.
रक्षा योजना समिति (DPC) के सदस्य
• राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार
• तीनों सेनाओं के प्रमुख
• चीफ ऑफ स्टाफ कमिटी के चेयरमैन
• इंटिग्रेटिड डिफेंस स्टाफ के चीफ
• रक्षा सचिव, विदेश सचिव एवं सचिव (वित्त)
अन्य चार उप-समितियां
राष्ट्रीय रक्षा योजना समिति के तहत चार उप-समितियों का गठन किया गया है जिसके साथ मिलकर यह समिति रक्षा-रणनीति एवं अन्य योजनाओं को तय करेगी. इन उप-समितियों में नीति एवं रणनीति समिति, योजना एवं क्षमता विकास समिति, रक्षा कूटनीति समिति एवं रक्षा विनिर्माण समिति शामिल होंगी.
उप-समितियां एवं उनके कार्य
1. नीति एवं रणनीति उप-समिति
• बाह्य सुरक्षा खतरों का आकलन करना, रक्षा एवं सुरक्षा प्राथमिकताएं तय करना.
• राष्ट्रीय सुरक्षा रणनीति का निर्माण करना तथा मौजूदा सुरक्षा रणनीति की समीक्षा करना.
2. योजना एवं क्षमता विकास उप-समिति
• उन मंत्रालयों तथा विभागों की पहचान करना जिन्हें राष्ट्रीय सुरक्षा मुद्दे पर एक मंच पर लाया जा सकता है.
• क्षमता विकास योजना (CDP) का निर्माण करना तथा इसका समय पर कार्यान्वयन सुनिश्चित करना.
• योजनाओं पर कैबिनेट की मंजूरी प्राप्त करना तथा आर्थिक सहायता प्राप्त करना.
3. रक्षा कूटनीति उप-समिति
• विदेशी नीति की जरूरतों का मूल्यांकन करके रक्षा रणनीति बनाना.
• रणनीतिक लाभ प्राप्त करने के लिए विदेशी अधिग्रहण और बिक्री की पहचान सुनिश्चित करना.
4. रक्षा विनिर्माण उप-समिति
• अनुसंधान और विकास के लिए व्यापक नीति तैयार करना ताकि देश की रक्षा आवश्यकताओं का बारीकी से विश्लेषण किया जा सके.
• स्वदेश में ही निर्माण प्रक्रिया हेतु विस्तृत रोडमैप तैयार करना.
• विनिर्माण नीति तैयार करना तथा रक्षा निर्यात को बढ़ावा देने के लिए संरचनात्मक रूपरेखा तैयार करना.
सरकार द्वारा यह निर्णय देश की रक्षा योजना में केंद्रीकृत योजना के अभाव को ध्यान में रखते हुए लिया है. इसके जरिए सरकार नागरिक और सैन्य एजेंसियों के समन्वय के जरिए रक्षा रणनीति तैयार करने का काम कर सकेगी.
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