केंद्र सरकार ने घोषणा की है कि प्राइवेट केमिस्ट भी अब ऑक्सीटोसिन बेच सकेंगे. इससे पहले केंद्र सरकार ने प्राइवेट कम्पनियों पर ऑक्सीटोसिन बेचने पर प्रतिबन्ध लगा दिया था लेकिन देश में ऑक्सीटोसिन की मांग को देखते हुए तथा इसकी कमी होने के डर के चलते इस प्रतिबन्ध को 01 सितंबर 2018 तक के लिए टाल दिया गया है.
केंद्र सरकार की ओर से अधिसूचना जारी करते हुए यह कहा गया है कि पुराने नोटिस में जारी डेडलाइन को रद्द कर दिया गया है. कर्नाटक एंटीबायोटिक्स प्राइवेट लिमिटेड (केएपीएल) एकमात्र कम्पनी है जो ऑक्सीटोसिन का निर्माण एवं इसे बेच सकेगी.
पृष्ठभूमि |
स्वास्थ्य मंत्रालय ने सभी पंजीकृत अस्पतालों और चिकित्सालयों को सलाह दी थी कि वे 01 जुलाई 2018 से ऑक्सीटॉसिन खरीदने के लिए केवल केएपीएल से संपर्क कर अपना ऑर्डर बुक करा सकते हैं. यह दवा अब किसी और रिटेल स्टोर पर नहीं मिलेगी. इसकी बिक्री किसी अन्य नाम या किसी अन्य कम्पनी द्वारा किए जाने पर उचित कारवाई की जाएगी. |
ऑक्सीटोसिन पर प्रतिबन्ध के कारण
• ऑक्सीटोसिन के इंजेक्शन का उपयोग आमतौर हॉर्मोन पर असर डालने के लिए लगाया जाता है. इसका उपयोग दूध देने वाले पशुओं पर क्षमता से अधिक दूध देने के लिए किया जाता है.
• इसका इंजेक्शन लगा देने से पशु किसी भी समय दूध दे सकता है. यह स्वत: उत्पन्न होने वाला हार्मोन है जो कि गर्भाशय के संकुचन का कारण बनता है.
• इसके उपयोग से पशुओं में प्राकृतिक क्षमता कम होती है तथा दूध की गुणवत्ता में भी कमी आती है.
• वर्तमान समय में इसका उपयोग खेती में भी किया जा रहा है. आमतौर पर कद्दू, तरबूज, बैंगन, खीरा आदि का आकार बढ़ाने के लिए भी इसका उपयोग किया जाता है.
• इससे सब्जियों का आकार रातों-रात बढ़ाया जाता है जो कि मानव स्वास्थ्य के लिए बहुत हानिकारक है.
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