केंद्र सरकार ने विज्ञापनों के लिए दिशानिर्देशों का मसौदा जारी किया, डिस्क्लेमर पर बढ़ेगी सख्ती

Sep 9, 2020, 15:43 IST

इस प्राधिकरण का गठन हाल ही में किया गया है. उपभोक्ता मंत्रालय ने इस मसौदे पर आम लोगों से 18 सितंबर तक सुझाव आमंत्रित किए हैं. मसौदे में कहा गया है कि डिस्क्लेमर साफ, मोटा और पठनीय होना चाहिए.

Government releases draft guidelines on advertising in Hindi
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केंद्र सरकार ने हाल ही में विज्ञापनों के संबंध में उपभोक्ता संरक्षण अधिनियम के तहत प्रस्तावित दिशा-निर्देंशों का एक व्यापक मसौदा जारी किया है. इसमें आसानी से न दिखने वाले या सामान्य उपभोक्ता के लिए समझने में कठिन डिस्क्लेमर को भ्रामक करार दिया जाएगा. इन दिशा निर्देशों के उल्लंघन पर केंद्रीय उपभोक्ता संरक्षण प्रा​धिकरण की तरफ से कड़ी कार्रवाई की जाएगी.

इस प्राधिकरण का गठन हाल ही में किया गया है. उपभोक्ता मंत्रालय ने इस मसौदे पर आम लोगों से 18 सितंबर तक सुझाव आमंत्रित किए हैं. मसौदे में कहा गया है कि डिस्क्लेमर साफ, मोटा और पठनीय होना चाहिए. यह खंडन ऐसा हो जिसे कोई सामान्य दृष्टि वाला व्यक्ति एक व्यावहारिक दूरी और व्यावहारिक गति की अवस्था में पढ़ सके. इसे पैकेट पर किसी स्पष्ट रूप से दिखने वाली जगह पर ही प्रकाशित होना चाहिए.

विज्ञापन से संबंधित मुख्य बिंदु

य​दि यह विज्ञापन किसी आवाज या वायस ओवर में सुनाया गया हो, तो उसके साथ लिखित पाठ भी चलाया जाए. यह उसी आकार के फांट तथा भाषा में हो, जिसमें विज्ञापन प्रकाशित किया गया हो. किसी खंडन या अस्वीकारोक्ति में विज्ञापन की किसी भ्रामक बात को शुद्ध करने का प्रयास नहीं किया जाना चाहिए.

मसौदे में कहा गया है कि विज्ञापन में किसी माल या सेवा को मुफ्त या ​​नि:शुल्क या इसी तरह की किसी शब्दावली में प्रस्तुत न किया जाए, यदि उपभोक्ता को किसी उत्पाद की खरीद या डिलिवरी के लिए उसकी लागत से कुछ भी अलग भुगतान करना पड़ता हो.

इसमें यह भी कहा है कि विज्ञापन में कपंनी के दावे की पुष्टि के लिए खड़े व्यक्ति को इस बात का ध्यान रखना चाहिए कि कि उसमें कही गयी बातें ठोस हों और उनकी पुष्टि की जा सके. उसे कोई असत्य या भ्रामक बात का प्रचार नहीं करना चाहिए.

उपभोक्ता संरक्षण प्राधिकरण

इस प्राधिकरण की स्थापना 2020 में उपभोक्ता संरक्षण अधिनियम की धारा 10 (1) के तहत की गई थी. यह अनुचित व्यापार प्रथाओं और भ्रामक विज्ञापनों को ट्रैक करके उपभोक्ता के अधिकारों की रक्षा करेगा. यह प्राधिकरण उपभोक्ता अधिकारों और अनुचित व्यापार प्रथाओं के उल्लंघन के मामलों की जांच करेगा. यह उन सामानों को वापस बुलाएगा जो खतरनाक या असुरक्षित हैं.

सजा का प्रावधान

भ्रामक विज्ञापनों के लिए यह निर्माताओं को 10 लाख रुपये तक का जुर्माना और निर्माताओं को दो साल तक कारावास की सजा दी जा सकती है. यह जिला उपभोक्ता विवाद निवारण आयोग में अनुचित व्यापार प्रथाओं और उपभोक्ता अधिकारों के उल्लंघन के खिलाफ शिकायतें दर्ज कर सकता है.

Vikash Tiwari is an content writer with 3+ years of experience in the Education industry. He is a Commerce graduate and currently writes for the Current Affairs section of jagranjosh.com. He can be reached at vikash.tiwari@jagrannewmedia.com
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