बैंकिंग सेक्टर पर लगातार बढ़ रहे घाटे में सुधार लाने के लिए चार बैंकों का विलय किया जा सकता है. इसके तहत आईडीबीआई, ओरिएंटल बैंक ऑफ़ कॉमर्स (ओबीसी), सेंट्रल बैंक ऑफ़ इंडिया और बैंक ऑफ बड़ौदा (बीओबी) को मिलाकर एक बड़ा बैंक बनाया जा सकता है.
यदि ऐसा हो जाता है तो यह भारतीय स्टेट बैंक (एसबीआई) के बाद दूसरा सबसे बड़ा बैंक होगा. इस नये बैंक की संपत्ति 16.58 लाख करोड़ रुपये हो सकती है. देश की बैंकिंग व्यवस्था का कुल एनपीए 10 लाख करोड़ रुपये के आंकड़ें को पार कर चुका है, जिसमें सरकारी बैंकों कि हिस्सेदारी 8.9 लाख करोड़ रुपये की है.
विलय की आवश्यकता |
इन चारों बैंकों में वर्ष 2017-18 में लगभग 22,000 करोड़ रुपये का घाटा हुआ है तथा यह अपना एनपीए चुकाने की स्थिति में भी नहीं हैं. यदि यह विलय होता है तो इस बैंकों की व्यवस्था को राहत मिलेगी एवं घाटे की भरपाई की प्रक्रिया भी आरंभ हो सकेगी. मीडिया में प्रकाशित आंकड़ों के अनुसार वर्ष 2017-18 की चौथी तिमाही में आईडीबीआई को अब तक 8237 करोड़ रुपये का घाटा हो चुका है जबकि बैंक ऑफ़ बड़ौदा को 3,102 करोड़ रुपये घाटा हुआ है. |
विलय से होने वाले लाभ
• इस विलय से कमजोर बैंक अपनी खस्ताहालत को सुधार पाएंगे तथा कमजोर बैंक अपनी संपत्ति बेच पाएंगे.
• इसके बाद कमजोर बैंक अपनी घाटे वाली ब्रांच को बंद कर सकेंगे तथा कर्मचारियों की छंटनी आसानी से कर सकेंगे.
• सरकार इस विलय से 10,000 करोड़ रुपये तक जुटा सकेगी.
• चारों बैंकों के विलय के बाद तैयार होने वाले नए बैंक की कुल संपत्ति 16.58 लाख करोड़ रुपये आंकी जा रही है.
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