जीएसटी परिषद ने केंद्रीय जीएसटी विधेयक तथा एकीकृत आईजीएसटी विधेयक को मंजूरी दी. जीएसटी परिषद की 4 मार्च 2017 को दिल्ली के विज्ञान भवन में हुई 11वीं बैठक में इस नई अप्रत्यक्ष कर प्रणाली के लिए प्रस्तावित दो प्रमुख विधेयकों - केंद्रीय जीएसटी (सीजीएसटी) तथा एकीकृत जीएसटी (आइजीएसटी) कानून के अंतिम मसौदे को मंजूरी दी गई.
देश में सबसे बड़े कर सुधार माने जा रहे वस्तु और सेवा कर (गुड्स एंड सर्विसेज टैक्स, जीएसटी) के 1 जुलाई 2017 से लागू होने की संभावना बनी है.
वित्त मंत्री अरुण जेटली ने कहा कि मॉडल जीएसटी कानून में जीएसटी की शिखर दर को 40 फीसद तक (20 फीसद केंद्र तथा उतना ही राज्यों द्वारा) किया जाएगा. लेकिन जीएसटी की प्रभावी दरों को पहले से मंजूर 5, 12, 18 तथा 28 फीसद पर ही रखा जाएगा.
सीजीएसटी के जरिए केंद्र को वस्तुओं और सेवाओं पर जीएसटी लगाने का अधिकार मिलेगा. आइजीएसटी अंतरराज्यीय बिक्री पर लागू होगा. एसजीएसटी विधेयक को सभी राज्यों की विधानसभा में पारित कराना होगा. संसद में यूटी-जीएसटी मंजूरी के लिए रखा जाएगा.
अरुण जेटली ने बैठक के बाद कहा कि राज्य जीएसटी (एसजीएसटी) के मसौदे को भी जल्द मंजूरी मिल जाएगी. यह विधेयक राज्यों की विधानसभाओं से अनुमोदित किया जाएगा. राज्यों ने 26 प्रकार के बदलाव के सुझाव दिए थे, जिन्हें केंद्र ने मान लिया है. एसजीएसटी के अतिरिक्त केंद्र शासित प्रदेशों के लिए मसौदे पर भी चर्चा होनी है. ये मसौदे भी केंद्रीय जीएसटी की तर्ज पर होंगे.
इन मसौदों पर जीएसटी परिषद की 16 मार्च 2017 को होने वाली बैठक में विचार किया जाएगा. अरुण जेटली के मुताबिक आइजीएसटी (अंतरराज्यीय), सीजीएसटी और यूटी-जीएसटी कानून को 9 मार्च 2017 से शुरू होने वाले बजट सत्र के दूसरे चरण में संसद में रखा जाएगा.
वैट तथा राज्य में लगने वाले अन्य करों के जीएसटी में शामिल होने के बाद एसजीएसटी के अंतर्गत राज्यों को कर लगाने की अनुमति होगी.
केंद्र इस पर सहमत हो गया है कि इन छोटे कारोबारियों पर पांच फीसद कर लगेगा और यह केंद्र और राज्यों के बीच बराबर बांटा जाएगा. दिल्ली के उपमुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया ने कहा कि परिषद की बैठक में सीजीएसटी और आइजीएसटी विधेयकों पर व्यापक रूप से सहमति रही.
यह भारत की संघीय व्यवस्था के अनुरूप है. पश्चिम बंगाल के वित्त मंत्री अमित मित्रा ने कहा कि केंद्र और राज्य सरकारें ढाबा और छोटे रेस्तरां कारोबारियों के लिए एक निपटान योजना रखने पर सहमत हुए हैं. राज्य यह मांग कर रहे थे कि ढाबा तथा छोटे रेस्तरां निपटारा योजना अपना सकते हैं.
मित्रा ने कहा कि आइजीएसटी कानून राज्य और केंद्र के अधिकारियों को एक-दूसरे के वर्ग में आने वाली इकाइयों की जांच का अधिकार देगा.
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