वस्तु एवं सेवा कर (जीएसटी) परिषद ने 10 मार्च 2018 को अंतिम निर्णय लिया है कि 01 अप्रैल 2018 से देशभर में ई-वे बिल (इलेक्ट्रानिक- वे बिल) लागू होगा. हालांकि एक ही राज्य के भीतर एक जगह से दूसरी जगह पर सामान की आवाजाही के लिए ई-वे बिल को क्रमबद्ध तरीके से 15 अप्रैल से लागू किया जाना शुरू किया जाएगा और 1 जून तक यह सभी राज्यों में लागू कर दिया जाएगा. इसके लागू होते ही जीएसटी में टैक्स की चोरी पर काफी हद तक लगाम लगाई जा सकेगी.
ई-वे बिल लागू होने से संबंधित मुख्य तथ्य:
टैक्स चोरी पर रोक लगाने के साथ ही इससे परिवहन में लगने वाला समय भी बचेगा. सड़क परिवहन मंत्रालय के आंकड़ों के अनुसार औसतन एक ट्रक को चेकपोस्टों पर 20 फीसदी वक्त जाया करना पड़ता है.
जीएसटी व्यवस्था के तहत 50,000 रुपये से अधिक मूल्य की वस्तुओं की ढुलाई के लिए ई-वे बिल तैयार करने और उसे मालवाहक वाहन के साथ ले जाने की जरूरत है.
जीएसटी रिटर्न दाखिल करने की मौजूदा व्यवस्था जीएसटीआर-3 बी को ही तीन माह के लिये बढ़ा दिया गया है. इसके साथ ही निर्यातकों को दी गई कर छूट को भी छह माह यानी सितंबर तक जारी रखने का फैसला किया गया है.
ई-वे बिल क्या है:
जीएसटी लागू होने के बाद 50 हजार रुपए या ज्यादा के माल को एक राज्य से दूसरे राज्य या राज्य के अंदर 50 किलोमीटर या अधिक दूरी तक ले जाने के लिए इलेक्ट्रॉनिक परमिट की जरूरत होगी. इस इलेक्ट्रॉनिक बिल को ही ई वे बिल कहते हैं, जो जीएसटीएन नेटवर्क के अंतर्गत आता है.
ई-वे बिल की वैधता:
यह वैधता माल (वस्तु) ले जाने की दूरी के आधार पर तय होगी. अगर किसी वस्तु का गतिशीलता (मूवमेंट) 100 किलोमीटर तक होता है तो यह बिल सिर्फ एक दिन के लिए वैलिड (वैध) होता है. अगर इसका मूवमेंट 100 से 300 किलोमीटर के बीच होता है तो बिल 3 दिन, 300 से 500 किलोमीटर के लिए 5 दिन, 500 से 1000 किलोमीटर के लिए 10 दिन और 1000 से ज्यादा किलोमीटर के मूवमेंट पर 15 दिन के लिए मान्य होगा.
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