जीएसटी (वस्तु एवं सेवाकर) परिषद ने हाल ही में पूरे देश में एकसमान नई अप्रत्यक्ष कर व्यवस्था लागू करने की दिशा में एक और कदम बढ़ाते हुए उस विधेयक के मसौदे को मंजूरी दी जिसमें नयी कर प्रणाली को लागू करने से राज्य सरकारों को राजस्व में होने वाली संभावित नुकसान की परिस्थिति में क्षतिपूर्ति का प्रावधान किया गया है.
अधिकार संपन्न जीएसटी परिषद ने जीएसटी को लागू करने के लिए प्रस्तावित तीन अन्य विधेयकों के मसौदों को मंजूरी देने का काम अगली बैठक पर टाल दिया गया जो 4 मार्च-5 मार्च को होगी.
इनमें एकीकृत जीएसटी (आईजीएसटी), केंद्रीय जीएसटी (सीजीएसटी) और राज्य जीएसटी (एसजीएसटी) विधेयक शामिल हैं जिनके पांच या छह प्रावधानों की कानूनी भाषा को लेकर मंजूरी रुकी हुई है.
जीएसटी के लागू होने से केंद्र तथा राज्य स्तर पर लागू तमाम अप्रत्यक्ष कर उसमें समाहित हो जाएंगे. यह उपभोग आधारित कर प्रणाली है जो वस्तुओं और सेवाओं की बिक्री, विनिर्माण तथा उपभोग पर लगायी जाएगी.
पूरे देश में इससे एक समान अप्रत्यक्ष कर व्यवस्था लागू होगी.
केंद्रीय वित्त मंत्री अरूण जेटली ने दिन भर चली बैठक के बाद अपेक्षा जताई कि इन विधेयकों को परिषद की अगली बैठक में मंजूर कर लिया जाएगा ताकि इन्हें अगले महीने संसद के बजट सत्र के दूसरे चरण में पारित कराने के लिए पेश किया जा सके.
अरुण जेटली ने कहा कि साथ-साथ जीएसटी परिषद अलग-अलग वस्तुओं तथा सेवाओं पर जीएसटी की दरों को तय करने का काम भी करेगी.
वस्तुओं एवं सेवाओं को जीएसटी की प्रस्तावित चार स्तर की कर दरों 5, 12, 18 तथा 28 प्रतिशत में वर्गीकृत किया जाना है.
जीएसटी लागू होने पर इस विधेयक में राज्यों को पांच साल तक राजस्व हानि होने की स्थिति में क्षतिपूर्ति के प्रावधान हैं.
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