हरियाणा सरकार ने 13 मई 2016 को हरियाणा पिछड़ा वर्ग ( नौकरी एवं शैक्षणिक संस्थानों में दाखिले में आरक्षण) अधिनियम 2016 को अधिसूचित कर दिया.
अधिनियम को राज्य में जाटों और चार अन्य जातियों को नौकरी एवं शैक्षणिक संस्थानों में दाखिले के लिए आरक्षण देने के लिए अधिनियमित किया गया.
हरियाणा पिछड़ा वर्ग अधिनियम 2016 की विशेषताएं
• यह अधिनियम जाट, जाट सिक्खों, रोर, बिश्नोई, त्यागी, मुल्ला जाट या मुस्लिम जाटों को अनुसूची III में तृतीय श्रेणी और चतुर्थ श्रेणी के पदों के लिए नौकरी में 10 फीसदी आरक्षण एवं प्रथम और द्वितीय श्रेणी में छह फीसदी आरक्षण प्रदान करता है.
• इन जातियों के लोगों को यह अधिनियम शिक्षण संस्थानों में दाखिले में 10 फीसदी आरक्षण देने की बात करता है.
• अनुसूची I में ए श्रेणी के पिछड़ी जातियों के लोगों को यह तृतीय श्रेणी और चतुर्थ श्रेणी के पदों के लिए 16 फीसदी आरक्षण और प्रथम एवं द्वितीय श्रेणी के पदों में 11 फीसदी आरक्षण देता है.
• ये लोग शैक्षणिक संस्थानों में दाखिले में 16 फीसदी आरक्षण भी प्राप्त कर सकेंगें.
• अधिनियम पिछड़ा वर्गों के बी श्रेणी के लोगों को अनसूची II में तृतीय और चतुर्थ श्रेणी के पदों के लिए 11 फीसदी और श्रेणी I और II के पदों में छह फीसदी आरक्षण देता है.
• पिछड़ा वर्ग– बी श्रेणी के लोग शैक्षणिक संस्थानों में दाखिले के लिए 11 फीसदी आरक्षण के हकदार होंगे.
• पिछड़ा वर्ग– ए श्रेणी की अनुसूची में कुल 71 जातियां आती हैं, जिनमें से छह जातियों को अनुसूची II में पिछड़ा वर्ग– बी श्रेणी की सूची में शामिल कर दिया गया है. इसके अलावा अधिसूचना यह कहती है कि इस अधिनियम के होने के बावजूद, राज्य सरकार, समय –समय पर आवश्यक समझे तो पिछड़ी जातियों की ऐसी श्रेणी या श्रेणियों के लोगों को समस्तरीय आरक्षण दे सकती है.
• शैक्षणिक संस्थानों में नियुक्तियों और दाखिले के लिए पिछड़ी जातियों के सदस्यों के लिए आरक्षण अनुसूची में दिए गए निर्देशों के अनुसार दिया जाएगा.
• पिछड़ी जातियों के क्रीमी लेयर में आने वाले किसी भी व्यक्ति को शैक्षणिक संस्थानों में दाखिले या नौकरी में नियुक्ति के लिए पिछड़ी जातियों के लिए आरक्षित सीट दिए जाने पर विचार नहीं किया जाएगा.
• सरकार, अधिसूचनाओं द्वारा सामाजिक, आर्थिक एवं ऐसे अन्य कारकों पर विचार करते हुए पिछड़ी जातियों से ताल्लुक रखने वाले लोगों के बहिष्कार एवं उनके क्रीमी लेयर में होने की पहचान करने हेतु मापदंड निर्दिष्ट करेगी. उपधारा दो के तहत निर्धारित मानदंडों की प्रत्येक तीन वर्षों में समीक्षा की जाएगी.
• अधिसूचना यह भी कहती है कि जहां शैक्षणिक संस्थानों में दाखिले के लिए पिछड़ी जातियों के लिए सीटें आरक्षित हैं, वहां अनिवार्य योग्ता वाले उम्मीदवारों की अनुपलब्धता की वजह से यदि अकादमिक वर्ष में सीटें नहीं भर पातीं तो वे सीटें उस वर्ष दाखिले के लिए जारी की गई अंतिम सूची के बाद सामान्य श्रेणी के उम्मीदवारों के लिए उपलब्ध होंगी.
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