हरियाणा के फर्राटा धावक धरमबीर सिंह पर राष्ट्रीय डोपिंग निरोधक एजेंसी (नाडा) ने आठ साल का प्रतिबंध लगाया है. 200 मीटर के धावक धरमबीर को बेंगलुरु में 11 जुलाई 2016 को इंडियन ग्रां प्री के दौरान डोप टेस्ट में पॉजिटिव पाया गया था.
दूसरी बार डोपिंग में पकड़े जाने के कारण नाडा की डोपिंग निरोधक अनुशासन समिति ने उन पर आठ साल का प्रतिबंध लगाया. यह उसका दूसरा अपराध था. नाडा ने इसकी सूचना आईएएएफ और वाडा को दे दी है.
इससे पहले 2012 में अनिवार्य डोप टेस्ट नहीं देने के कारण धरमवीर से राष्ट्रीय अंतर प्रांत चैंपियनशिप में जीता 100 मीटर का स्वर्ण पदक छीन लिया गया था.
धर्मबीर ने जुलाई 2016 में बेंगलुरु में हुर्इ इंडियन ग्रां प्री एथलेटिक्स में 20.50 सेकंड के ओलंपिक मार्क को 20.45 सेकंड में पूरा किया था.
नाडा के बारे में:
• नाडा युवा कार्य और खेल मंत्रालय के तहत स्वायत्त ईकाई है, जो खेलों में डोपिंग की जांच करती है.
• भारत विश्व डोपिंग निरोधक आचार संहिता को लेकर प्रतिबद्ध है और प्रक्रिया का पालन करता है.
• खिलाड़ी को यहां पर अपनी बात रखने का मौका मिलता है.
• सरकार नाडा के काम में दखल नहीं देती और डोपिंग से जुड़े मामलों में पूरी पारदर्शिता तथा निष्पक्षता बरतती है.
• नाडा, वाडा के अंतर्गत काम करती है. वाडा का काम डोपिंग को चेक करना है. इसी मामलों में अंतिम फैसला वडा ही करती है.
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