स्वास्थ्य मंत्रालय ने एचआईवी/एड्स अधिनियम की अधिसूचना जारी की

यह अधिनियम एचआईवी पीड़ित नाबालिग को परिवार के साथ रहने का अधिकार देता है तथा उनके खिलाफ भेदभाव करने और नफरत फैलाने से रोकता है.

Sep 11, 2018, 12:55 IST
Health ministry implements HIV AIDS Act 2017
Health ministry implements HIV AIDS Act 2017

केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय की ओर से एचआईवी/एड्स अधिनियम, 2017 की अधिसूचना जारी कर दी गई है. अधिसूचना में बताया गया है कि 10 सितंबर 2018 से इसे पूरे देश में लागू कर दिया गया है.

पीड़ितों को उनके लाभ तक के लिए इस अधिनियम का लाभ हासिल हो सकता है. साथ ही अधिनयिम के लागू हो जाने के बाद एचआईवी या एड्स पीड़ितों को संपत्ति में पूरा अधिकार और स्वास्थ्य सेवाओं से जुड़ी हर संभव सहायता मिल सकेगी. अधिनियम में साफ किया गया है कि इस तरह के मरीजों से भेदभाव को अपराध की श्रेणी में माना जाएगा.

एचआईवी/एड्स अधिनियम, 2017 के प्रमुख तथ्य


•    यह अधिनियम एचआईवी पीड़ित नाबालिग को परिवार के साथ रहने का अधिकार देता है तथा उनके खिलाफ भेदभाव करने और नफरत फैलाने से रोकता है.

•    इस अधिनियम के तहत मरीज को एंटी-रेट्रोवाइरल थेरेपी का न्यायिक अधिकार दिया गया है जिसके अनुसार प्रत्येक एचआईवी मरीज़ को एचआईवी प्रिवेंशन, टेस्टिंग, ट्रीटमेंट और काउंसलिंग सर्विसेज का अधिकार मिलेगा.

•    इस अधिनियम में राज्य और केंद्र सरकार को यह उत्तरदायित्व दिया गया है कि वे एचआईवी पीड़ितों में इंफेक्शन रोकने और उचित उपचार देने में मदद करे.

•    राज्य सरकारों को इन मरीजों के लिए कल्याणकारी योजनाएं शुरू करने को भी कहा गया है.

•    किसी भी मरीज को उसकी सहमति के बिना एचआईवी टेस्ट या किसी मेडिकल ट्रीटमेंट के लिए मजबूर नहीं किया जा सकता.

•    एचआईवी पॉजिटिव व्यक्ति तभी अपना स्टेटस उजागर करने पर मजबूर होगा, जब इसके लिए कोर्ट का ऑर्डर लिया जाएगा.

•    यह भी कहा गया है कि लाइसेंस प्राप्त ब्लड बैंक और मेडिकल रिसर्च के उद्देश्यों के लिए सहमति की जरूरत नहीं होगी, जब तक कि उस व्यक्ति के एचआईवी स्टेटस को सार्वजनिक न किया जाए.

एचआईवी पीड़ितों से भेदभाव पर सज़ा

इस अधिनियम में इन मरीजों के खिलाफ भेदभाव को भी परिभाषित किया गया है. इसमें कहा गया है कि मरीजों को रोजगार, शिक्षा, स्वास्थ्य प्रॉपर्टी, किराए पर मकान जैसी सुविधाओं को देने से इनकार करना या किसी तरह का अन्याय करना भेदभाव माना जायेगा. इसके साथ ही किसी को नौकरी, शिक्षा या स्वास्थ्य सुविधा देने से पहले एचआईवी टेस्ट करवाना भी भेदभाव माना जायेगा. अधिनियम में बताया गया है कि इस तरह के मरीज़ो से भेदभाव को अपराध की श्रेणी में गिना जाएगा.


भारत में इस अधिनियम की आवश्यकता
यूएनएड्स (UNAIDS की रिपोर्ट के अनुसार, भारत में वर्ष 2015 तक लगभग 20 लाख लोग एचआईवी पीड़ित थे. वर्ष 2015 में 68,000 से ज्यादा एड्स से संबंधित मौतें हुई थीं, वहीं 86,000 नए लोगों में एचआईवी इन्फेक्शन के लक्षण पाए गए थे. अब तक यह संख्या लाखों में हो गई होगी. इसके साथ ही एचआईवी/एड्स पीड़ितों के साथ भेदभाव की समस्या भी भारत में मौजूद पाई गई इसलिए यह अधिनियम काफी अहम माना जा रहा है.

Gorky Bakshi is a content writer with 9 years of experience in education in digital and print media. He is a post-graduate in Mass Communication
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