अब हिमालयी याक का भी दुर्घटनाओं या प्राकृतिक आपदाओं के खिलाफ होगा बीमा

Jul 15, 2021, 17:12 IST

यह नवीनतम बीमा पॉलिसी याक मालिकों को बीमारियों, मौसम की आपदाओं, सर्जिकल ऑपरेशन, इन-ट्रांजिट दुर्घटनाओं और हड़तालों या दंगों से उत्पन्न जोखिमों से बचाएगी.

Himalayan yaks to be insured against accidents, natural disasters
Himalayan yaks to be insured against accidents, natural disasters

भारत में पहली बार जलवायु परिवर्तन को महसूस कर रहे और प्राकृतिक आपदाओं का सामना कर रहे उच्च ऊंचाई वाले हिमालयी याक का अब बीमा किया जाएगा.

अरुणाचल प्रदेश के पश्चिम कामेंग जिले के दिरांग में राष्ट्रीय याक अनुसंधान केंद्र (NRCY) ने अपने पशुओं का बीमा करवाने के लिए राष्ट्रीय बीमा कंपनी लिमिटेड के साथ करार किया है.

NRCY के निदेशक, डॉ. मिहिर सरकार ने यह बताया है कि वर्ष, 2019 में उत्तरी सिक्किम में भारी बारिश के एक ही दौर में 500 से अधिक याकों की मौत हो गई थी, जिससे याक पालने वाले किसानों पर भारी आर्थिक बोझ पड़ा था.

उन्होंने इस निर्णय को सिक्किम, अरुणाचल प्रदेश, हिमाचल प्रदेश और लद्दाख में याक पालन करने वाले समुदायों को वित्तीय सुरक्षा प्रदान करने में एक ऐतिहासिक पहल बताया है.

एक चार साल पुरानी रिपोर्ट के अनुसार वर्ष, 2012 और वर्ष, 2019 के बीच पूरे भारत में याक की संख्या में लगभग 24.7% की गिरावट आई है.

याक का बीमा करवाने की आवश्यकता क्यों है?

राष्ट्रीय याक अनुसंधान केंद्र के निदेशक ने यह कहा है कि, देश भर में जनसंख्या की प्रवृत्ति से पता चलता है कि, हमारे देश में अब याक की आबादी खतरनाक दर से घट रही है.

यह नवीनतम बीमा पॉलिसी याक मालिकों को बीमारियों, मौसम की आपदाओं, सर्जिकल ऑपरेशन, इन-ट्रांजिट दुर्घटनाओं और हड़तालों या दंगों से उत्पन्न जोखिमों से बचाएगी.

याक के लिए बीमा पॉलिसी: मुख्य विवरण

• इस नीति के अनुसार, मालिकों को अपने याक को इअर-टैग्ड (कान-चिन्हित) करना होगा. उन्हें अपने पशुओं का बीमा कराने के लिए उचित विवरण भी देना होगा.
• दावों के लिए, मालिक को पूरा दावा फॉर्म, पशु चिकित्सक से याक का मृत्यु प्रमाण पत्र, इअर टैग और पोस्टमार्टम रिपोर्ट जमा करनी होगी.
• इस राशि का दावा करने के लिए 15 दिनों की प्रतीक्षा अवधि भी होनी चाहिए, यानी किसी बीमारी के कारण हुई किसी जानवर की मृत्यु, जोखिम शुरू होने के 15 दिनों के भीतर देय नहीं होगी.

भारत में याक

इस देश में याक की कुल आबादी लगभग 58,000 है. जम्मू-कश्मीर और लद्दाख के केंद्र शासित प्रदेशों में लगभग 26000 याक हैं. इसके बाद सिक्किम में 5,000, अरुणाचल प्रदेश में 24,000, हिमाचल प्रदेश में 2,000 और उत्तराखंड तथा पश्चिम बंगाल में लगभग 1,000 याक हैं.

याक: तापमान परिवर्तन के संकेतक

भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद द्वारा वर्ष, 1989 में स्थापित राष्ट्रीय याक अनुसंधान केंद्र के वैज्ञानिकों ने यह कहा था कि, ऊनी याक पहाड़ों पर तापमान में बदलाव के संकेतक होते हैं.

इस ऊनी जानवर को समुद्र तल से 7,000 फीट नीचे की स्थितियों को सहन करना मुश्किल लगता है.

इन पहाड़ों पर तापमान में वृद्धि याक को ऊपर जाने के लिए मजबूर करती है, जो मौसम में उतार-चढ़ाव का संकेत देती है.

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