केंद्रीय मानव संसाधन विकास मंत्रालय द्वारा जारी जानकारी के अनुसार मैथिली भाषा अथवा मिथिलाक्षर के संरक्षण, संवर्धन और विकास के लिए दरभंगा में पांडुलिपि केंद्र की स्थापना होगी.
गौरतलब है कि 19 मार्च 2018 को जदयू के राष्ट्रीय महासचिव संजय झा ने केंद्रीय मानव संसाधन विकास मंत्री को ज्ञापन सौंपा था, जिसमें मैथिली के विकास के लिए एक कमेटी गठित करने की मांग उन्होंने रखी थी. उन्होंने मानव संसाधन विकास मंत्री से इसके लिए एक कमेटी गठित करने की मांग की थी, जिस पर मंत्री ने मैथिली विद्वानों के नाम का सुझाव देने के लिए कहा था.
मैथिली भाषा के संरक्षण हेतु घोषणा
• मिथिलाक्षर के संरक्षण, संवर्धन और विकास के लिए दरभंगा में पांडुलिपि केंद्र की स्थापना होगी.
• यह केंद्र ललित नारायण मिथिला विश्वविद्यालय या कामेश्वर सह दरभंगा संस्कृत विश्वविद्यालय में से किसी एक परिसर में स्थापित होगी.
• मिथिलाक्षर का उपयोग आसान हो, इसके लिए लिपि को भारतीय भाषाओं के लिए प्रौद्योगिकी विकास संस्थान के द्वारा जल्द से जल्द कम्यूटर की भाषा (यूनिकोड) में परिवर्तित करने का काम पूरा किया जाएगा.
• साथ ही मिथिलाक्षर लिपि को सीखने के लिए ऑडियो-विजुअल तकनीक भी विकसित की जाएगी.
समिति और उसके सुझाव
• चार सदस्यीय समिति में ललित नारायण मिथिला विश्वविद्यालय के मैथिली विभागाध्यक्ष प्रो. रमण झा, कामेश्वर सह दरभंगा संस्कृत विश्वविद्यालय के व्याकरण विभागाध्यक्ष डॉ. पं. शशिनाथ झा, ललित नाराय़ण विश्वविद्यालय के सेवानिवृत प्रो. रत्नेश्वर मिश्र व पटना स्थित महावीर मंदिर न्यास के प्रकाशन विभाग के पदाधिकारी पं. भवनाथ झा को शामिल किया गया.
• समिति ने अपनी रिपोर्ट में अतिप्राचीन लिपि को बचाने के लिए कई सुझाव दिए हैं.
• केंद्रीय मंत्री ने अधिकांश सुझावों पर अपनी सहमति देते हुए जल्द से जल्द उन पर काम करने का आश्वासन दिया था.
• इस बैठक में मिथिला और मैथिली के विकास के प्रति केंद्र सरकार की प्रतिबद्धता को दोहराया था.
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