भारतीय वायुसेना ने 08 अप्रैल 2018 से पंद्रह दिन तक चलने वाले अब तक के सबसे बड़े युद्धाभ्यास गगन शक्ति 2018 की शुरुआत की. यह युद्दाभ्यास पाकिस्तान और चीन की सीमा के पास हो रहा है.
इस अभ्यास में वायु सेना के लड़ाकू विमानों के बेड़े सहित समूची साजो-सामान को शामिल किया गया है. इस अभ्यास का मुख्य लक्ष्य सेना की युद्धक क्षमता का आकलन करना है. यह अभ्यास दिन के साथ-साथ रात में भी किया जा रहा हैं.
उद्देश्य:
अभ्यास का उद्देश्य किसी को संदेश देना नहीं बल्कि क्षमताओं को परखना है और इसमें हथियारों की मारक क्षमता तथा इनके अचूक निशाने पर जोर दिया गया है. साथ ही रण कौशल की कमियों को दूर कर इन्हें निखारना भी इसका उद्देश्य है.
युद्धाभ्यास से संबंधित मुख्य तथ्य:
• युद्ध अभ्यास के दौरान एयर सपोर्ट, नेटवर्क सेंट्रिक वॉरफेयर, अटैक, काउंटर अटैक, सेना के दूसरे अन्य अंगों के साथ संयुक्त ऑपरेशन आदि बातों पर ज़ोर दिया गया है.
• देश में ही बना स्वदेशी तेजस पहली बार किसी युद्ध अभ्यास में हिस्सा ले रहा है.
• साथ ही सुखोई-30, मिग-21, मिग-29, जगुआर और मिराज जैसे एयरफोर्स के 500 से ज्यादा लड़ाकू विमान हिस्सा ले रहे हैं.
• लड़ाकू विमानों के अलावा बड़े परिवहन विमान सी-17 ग्लोब मास्टर, सी-130 जे सुपर हर्क्युलिस भी अभ्यास में शामिल हुए है.
• इस अभ्यास के दौरान वायुसेना में ही अपनी और दुश्मन की वायुसेना बनाई गयी है. अर्थात रेड फोर्स, ब्लू फोर्स और व्हाइट फोर्स. ब्लू फोर्स भारत की, जबकि रेड फोर्स दुश्मन की वायुसेना मानी गयी है. व्हाइट फोर्स की भूमिका न्यूट्रल या रेफरी की है.
• अभ्यास में वायु सेना के 3000 अफसर और 15000 वायु सैनिक हिस्सा लिए है, जो लंबे समय से इसकी तैयारियों में जुटे हैं. भारत अपनी आसमानी ताकत में लगातार इजाफा कर रहा है.
• इस बड़े अभ्यास में सेना और नौसेना भी शामिल होगी. इस युद्धाभ्यास में भारत की लड़ाकू और रक्षात्मक हर तरह की क्षमताओं का प्रदर्शन कर रहा है. वायुसेना अपने सभी जेट को अलग-अलग तरह के ग्राउंड पर उतारेगी.
• हर दो साल पर होने वाले गगन शक्ति के इस बार कुछ दिलचस्प पहलू भी हैं. युद्ध का यह अभ्यास चीन और पाकिस्तान के सीमावर्ती इलाकों के साथ-साथ भारत की समुद्री सीमा के ऊपर भी हो रहा है.
• इसमें वायुसेना की सभी सामरिक कमानें हिस्सा लिया. स्वदेश में ही निर्मित लड़ाकू विमान तेजस इसमें पहली बार हिस्सा ले रहा है.
• इसके अलावा वायुसेना में लड़ाकू पायलट के तौर पर भूमिका निभा रहीं तीनों महिला पायलट लेफ्टिनेंट अवनी चतुर्वेदी, मोहना सिंह और भावना कांत भी इस अभ्यास में हिस्सा लिया.
पृष्ठभूमि:
भारतीय वायुसेना पहले से ही लड़ाकू विमानों की कमी से जूझ रही है. उसके पास 42 फाइटर स्क्वाड्रन की जरूरत है जबकि फिलहाल सिर्फ 31 फाइटर स्क्वाड्रन है. चीन-पाकिस्तान की चुनौतियों से मुकाबला करने और इन कमियों से निपटने के लिए भारतीय वायुसेना अभ्यास के दौरान सर्ज ऑपरेशन कॉन्सेप्ट पर अभ्यास कर रही है.
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