कुछ समय पहले एक नई खोजी गई मकड़ी/ स्पाइडर की प्रजाति का नाम, सहायक उप-निरीक्षक तुकाराम ओंबले के नाम पर, आइसियस तुकारामी रखा गया है, जिन्होंने 26/ 11 के आतंकी हमलों के दौरान आतंकवादी अजमल कसाब को पकड़ने में मदद करने के लिए अपना जीवन दांव पर लगा दिया था.
इन प्रजातियों की खोज करने वाले शोधकर्ताओं की टीम ने शहीद पुलिस कांस्टेबल तुकाराम ओंबले के नाम पर इन प्रजातियों का नामकरण करने का निर्णय लिया है. शोधकर्ताओं ने ठाणे-कल्याण क्षेत्र से कूदने वाली मकड़ी की दो नई प्रजातियों की खोज की थी और उनमें से एक का नाम तुकाराम ओंबले के नाम पर, एक अद्भुत प्रयास में रखने का फैसला किया गया था.
मकड़ियों की दो नई प्रजातियों में निम्नलिखित शामिल हैं:
- इसियस तुकारामी
- फिंटेला चोलकी
तुकाराम ओंबले का जरुरी परिचय
• तुकाराम ओंबले एक मुंबई पुलिस अधिकारी और सेना के सिपाही थे, जिन्होंने मुंबई पुलिस के सहायक उप-निरीक्षक (ASI) के तौर पर कार्य किया था.
• वे वर्ष, 2008 के मुंबई हमलों के दौरान गिरगांव चौपाटी मुंबई में आतंकवादियों से लड़ते हुए, इस कार्रवाई में शहीद हो गए थे.
• उन्होंने अजमल कसाब को जिंदा पकड़ने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई, वह अकेला ऐसा जीवित आतंकवादी बचा था जिसे बाद में दोषी ठहराया गया और उसे फांसी दे दी गई.
• इस शहीद पुलिस अधिकारी को 26 जनवरी, 2009 को भारत सरकार द्वारा मरणोपरांत अशोक चक्र से सम्मानित किया गया था. यह अशोक चक्र असाधारण बहादुरी और अपना कर्तव्य निभाते हुए, वीरता के लिए देश का सर्वोच्च शांति-वीरता पुरस्कार है.
26/ 11 को क्या हुआ था?
• 26/ 11 के आतंकवादी हमले के दौरान, अजमल कसाब और उसके साथी आतंकवादी इस्माइल खान CST रेलवे स्टेशन पर हुए क्रूर हमले के बाद, कामा और अल्बलेस अस्पताल में प्रवेश करने का प्रयास कर रहे थे.
• दो आतंकवादी अस्पताल के पिछले गेट से घुसे. कर्मचारियों ने सभी दरवाजे अंदर से बंद कर रखे थे.
• दो आतंकवादियों को बाद में, गिरगाम चौपाटी के पास रोका गया और तुकाराम ओंबले ने उनकी राइफल की बैरल पकड़ ली.
• सहायक उप-निरीक्षक को पॉइंट-ब्लैंक रेंज पर कई गोलियां लगीं, जिससे यह सुनिश्चित हो गया कि, अन्य पुलिस अधिकारी अग्निशमन के दौरान घायल न हों.
• यह उनकी वीरता ही है जिसने अन्य पुलिस दल को कसाब को जिंदा पकड़ने के लिए तैयार करने और उस पर हावी होने का हौसला बढ़ाया.
• मुंबई के पूर्व पुलिस आयुक्त राकेश मारिया ने अपने संस्मरण में यह लिखा है कि, ओंबले का वह प्रयास, जिसके कारण कसाब को पकड़ा गया, लश्कर-ए-तैयबा की योजनाओं को विफल करने की कुंजी थी.
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