भारतीय अर्थव्यवस्था पर जीएसटी का प्रभाव

Jun 23, 2017, 11:12 IST

केंद्रीय मंत्रिमंडल ने चार जीएसटी कानूनों एकीकृत जीएसटी विधेयक, केन्द्रीय जीएसटी विधेयक, मुआवजा विधेयक और संघ राज्य जीएसटी विधेयक को मंजूरी दी है. 1 जुलाई 2017 से जीएसटी के लागू होने की संभावना है, और इसी परिपेक्ष्य में हम जीएसटी के प्रभावों को देखेंगे.

GST effect on Economy

केंद्रीय मंत्रिमंडल ने चार जीएसटी कानूनों एकीकृत जीएसटी विधेयक, केन्द्रीय जीएसटी विधेयक, मुआवजा विधेयक और संघ राज्य जीएसटी विधेयक को मंजूरी दी. इसे पहले जीएसटी परिषद ने लगभग छह महीनों तक चली 12 बैठकों में मंजूरी दे दी थी.
अब संसद द्वारा विधेयक पारित किया जाना है, जबकि राज्य जीएसटी विधेयक को प्रत्येक राज्य की विधान सभाओं द्वारा पारित करना आवश्यक है.
जीएसटी भारत को एक सामान्य बाजार में बदल देगी, इससे व्यापार करने में अधिक आसानी होगी और सभी क्षेत्रों में कंपनियों की लागतों में भारी बचत होगी. अधिकांश केन्द्रीय और राज्य करों को एक ही कर में लाकर और संपूर्ण मूल्य श्रृंखला में लेनदेन के लिए पूर्व-स्तरीय करों का सेट-ऑफ़ करके, यह कैस्केडिंग के खराब प्रभावों को कम करेगा, प्रतिस्पर्धा में सुधार करने के साथ साथ कारोबार की तरलता अनुपात में भी सुधार करेगा.
हालांकि जीएसटी की दर अभी तय नहीं की गई है. लेकिन उद्योग निरीक्षकों ने अपने प्रभाव गणना में एक सरकारी पैनल द्वारा सिफारिश की गई 18% की दर को स्वीकार किया है.
जीएसटी का कार्यान्वयन  1 जुलाई 2017 से होना है. इसमें विभिन्न सामान और सेवाएं हैं, इनकी जीएसटी द्वारा निर्धारित विभिन्न दरें होंगी, जो उनकी लागत को प्रभावित कर सकती हैं. इस आर्टिकल में हमने भारतीय अर्थव्यवस्था पर जीएसटी के सकारात्मक प्रभावों का वर्णन करने का प्रयास किया है:

1.बिजनेस बूस्टर
जीएसटी पूरे देश के लिए लाभदायक होगा.यह उद्योग, उपभोक्ता और सरकार के सभी हितधारकों को लाभ पहुंचाएगा. इससे माल और सेवाओं की लागत कम हो जाएगी जिससे  अर्थव्यवस्था को बढ़ावा मिलेगा और वैश्विक स्तर पर प्रतिस्पर्धी उत्पादों और सेवाओं का लाभ पूरी तरह से उठाया जा सकेगा.
जीएसटी का उद्देश्य आम कर दरों और प्रक्रियाओं के साथ भारत को एक सामान्य बाजार बनाना है और इसकी आर्थिक बाधाओं को दूर करना है. यह राष्ट्रीय स्तर पर एक एकीकृत अर्थव्यवस्था का मार्ग प्रशस्त करेगा.
अधिकांश केन्द्रीय और राज्य करों को एक ही कर में लाकर और संपूर्ण मूल्य श्रृंखला में लेनदेन के लिए पूर्व-स्तरीय करों का सेट-ऑफ़ करके, यह कैस्केडिंग के खराब प्रभावों को कम करेगा, प्रतिस्पर्धा में सुधार करने के साथ साथ कारोबार की तरलता अनुपात में सुधार करेगा.
जीएसटी प्रणाली काफी हद तक प्रौद्योगिकी पर आधारित है. इससे मानवीय हस्तक्षेप को काफी हद तक कम किया जा सकता है तथा इससे शीघ्र निर्णय लिया जा सकता है.

2.भारत में मेक इन इण्डिया पहल को और सशक्त बनाएगा  
जीएसटी से भारत में निर्मित वस्तुओं और सेवाओं के प्रति राष्ट्रीय और अंतर्राष्ट्रीय बाजार में प्रतियोगिता बढ़ेगी जिस कारण भारत सरकार के 'मेक इन इंडिया' पहल को और बढ़ावा मिलने की उम्मीद है.
इसके अलावा सभी आयातित सामानों को एकीकृत कर (आईजीएसटी) के दायरे में लाया जायेगा जो कि सेंट्रल जीएसटी + स्टेट जीएसटी के बराबर है.यह स्थानीय उत्पादों पर लगने वाले कराधानों के बीच समानता लाएगा.

3.पारदर्शिता
जीएसटी के कार्यान्वयन के बाद अप्रत्यक्ष कर कानून और अधिक पारदर्शी होंगे.
जीएसटी के जरिये आपूर्ति श्रृंखला के प्रत्येक चरण पर कर लगाया जाएगा, क्योंकि पिछले चरण के करों के भुगतान के बाद आपूर्ति को अगले चरण पर सेट किया जाता है. इससे आपूर्ति के कर मूल्य और अर्थशास्त्र को पृथक करने में आसानी होगी.
इससे उपभोक्ता को भुगतान करने वाले करों की सटीक राशि को जानने में मदद मिलेगी.
4.आसान कर भुगतान
जीएसटी से केंद्र सरकार के अप्रत्यक्ष कर कानूनों और सर्विस टैक्स जैसे  सेंट्रल एक्साइज, वैट, एंटरटेनमेंट टैक्स, सेंट्रल सेल्स टैक्स, एंट्री टैक्स, लक्ज़री टैक्स इत्यादि जैसे राज्य सरकारों के असंख्य कर रिकॉर्डों को बनाए रखने की अनिवार्य आवश्यक्ता स्वतः ही समाप्त हो जायेगी.
अब सिर्फ आंतरिक राज्य आपूर्ति (जो लगभग समान कानून हैं) के लिए केंद्रीय सामान और सेवा कर अधिनियम और राज्य (या संघ शासित प्रदेश) के सामान और सेवा कर अधिनियम के संबंध में रिकॉर्ड बनाए रखने की आवश्यक्ता होगी.

5.आंतरिक व्यापार में सुधार
यह तर्क दिया जा रहा है कि जीएसटी से आंतरिक व्यापार के विकास में वृद्धि होगी.
जीएसटी से कर छूट को कम करने की उम्मीद है, जिससे सीमा शुल्क की आपूर्ति श्रृंखलाओं के प्रबंधन के लिए माल की कीमतों और पूंजी की आवश्यकता पर असर पड़ सकता है.
इससे आयात और कम निर्यात प्रोत्साहन और निर्यात की कमी पर लगने वाले डयूटी बेनिफिट में ह्रास होगा.

6.अनुसंधान और विकास
सरकार ने एक महत्वपूर्ण घोषणा की है कि 1 अप्रैल  2017 से आर एंड डी सेस वापस ले लिया जायेगा.
परिणामतः अब तक करदाताओं द्वारा प्राप्त आरएंडडी सैस की सर्विस टैक्स पर भी छूट प्राप्त होगी.
सरकार के इस कदम का उद्योग द्वारा स्वागत किया जायेगा क्योंकि आरएंडडी उपकर करदाताओं के लिए एक बोझ के सामान था.
 आरएंडटी उपकर की समाप्ति से निश्चित रूप से प्रौद्योगिकी आयात को प्रोत्साहन मिलेगा तथा  घरेलू मूल्य में वृद्धि भी प्रोत्साहित होगी.

7.विनिर्माण
माल के विनिर्माण / उत्पादन की प्रक्रिया से सम्बंधित सेवाओं को नकारात्मक सूची से निकालकर छूट वाले सेवाओं की सूची में स्थानांतरित कर दिया गया है.अतीत में इसी तरह के संशोधन किए गए हैं जहां नकारात्मक सूची से सामान्य छूट सूची में प्रवेश किया गया है.

हालांकि इस संशोधन से कोई तात्कालिक लाभ नहीं होगा.इससे सरकार को वित्त अधिनियम प्रावधानों में संशोधन एवं सुधार की दिशा में कदम उठाने की बजाय भविष्य में इस श्रेणी में आने वाली सभी सेवाओं पर टैक्स लागू करने के लिए केवल एक अधिसूचना लागू करने की शक्ति प्राप्त होगी.

मेक इन इंडिया पहल को ध्यान में रखते हुए बजट प्रस्ताव में भारत के कुछ विनिर्माण क्षेत्रों मंन व्याप्त ड्यूटी करों को ठीक करने की कोशिश की गयी है.
ऑटोमोबाइल, नवीकरणीय ऊर्जा क्षेत्र और पेट्रोकेमिकल क्षेत्रों में अंतिम उत्पादों के निर्माण हेतु  उपयोग किए जाने वाले कुछ निविष्टियों और कच्चे माल पर सीमा शुल्क और उत्पाद शुल्क को कम किया गया है,जो नकदी प्रवाह को प्रभावित करने के साथ साथ क्रेडिट संचय के मुद्दे को ठीक करने में मदद करेंगे.

विभिन्न करदाताओं के डयूटी रेट्स पर विचार करना निश्चित रूप से घरेलू विनिर्माण को बढ़ावा देने में सहयोगी साबित होगा.

8.प्रौद्योगिकी
ऐसा माना जाता है कि प्रौद्योगिकी उद्योग के लिए जीएसटी बहुत लाभदायक सिद्ध होगा क्योंकि यह कई लेवी को खत्म कर देगा. इससे डिजिटल सेवाओं का विस्तार होगा.
जीएसटी लागू होने से आईटी कंपनियों के पास कई डिलीवरी केंद्र और कार्यालय हो सकते हैं जो एक एकल अनुबंध के आधार पर मिलकर काम करते हैं. जीएसटी के अंतर्गत  कंपनियों को प्रत्येक कॉन्ट्रैक्टिंग पार्टी के लिए अलग-अलग इनवॉइस बनाने की आवश्यकता होती है.

9.सीमेंट की कीमतों में कमी
सीमेंट कंपनियों के लिए कर की मौजूदा प्रभावी दर 25% है.यदि जीएसटी दरें 18-20 % पर तय की जाती हैं तो सीमेंट पर समग्र कर में कमी होगी. जीएसटी से परिवहन लागत में बचत की उम्मीद है, जो वर्तमान में कुल राजस्व का 20-25% तक है. देश में डिपो की संख्या कम हो जाएगी.यह परिवहन लागत को कम करेगा तथा कीमतों को नीचे लाएगा.

10.कृषि
जीएसटी कृषि उत्पादों के लिए एक राष्ट्रीय कृषि बाजार स्थापित करने में उपयोगी सिद्ध होगा.
इसमें कृषि-वस्तुओं के पारदर्शी, निष्पक्ष व्यापार के लिए सामान्य ई-कॉमर्स मंच के साथ विनियमित बाजारों में सभी किसानों और व्यापारियों को शामिल किया जाएगा.
जीएसटी आपूर्ति श्रृंखला तंत्र में सुधार करेगी जो किसानों / खुदरा विक्रेताओं के लिए अपव्यय और लागत में कमी को सुनिश्चित करेगा.

मॉडल जीएसटी कानून के तहत  डेयरी फार्मिंग, पोल्ट्री फार्मिंग और स्टॉक प्रजनन को कृषि की परिभाषा से अलग रखा गया है. इसलिए जीएसटी के तहत इन पर कर लगाया जायेगा.

Sharda Nand is an Ed-Tech professional with 8+ years of experience in Education, Test Prep, Govt exam prep and educational videos. He is a post-graduate in Computer Science and has previously worked as a Test Prep faculty. He has also co-authored a book for civil services aspirants. At jagranjosh.com, he writes and manages content development for Govt Exam Prep and Current Affairs. He can be reached at sharda.nand@jagrannewmedia.com
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