भारत में विकसित हुए लाइट कॉम्बैट एयरक्राफ्ट (एलसीए) तेजस ने 17 मार्च 2020 को फाइनल ऑपरेशनल क्लीयरेंस (एफओसी) के लिए अपनी पहली उड़ान भरी. तेजस ने अपना पहला परीक्षण पूरा किया. हिंदुस्तान एयरोनॉटिक्स लिमिटेड (एचएएल) के अनुसार, इस दौरान तेजस की उड़ान पूरी तरह मानक पर सफल रही है.
इस उड़ान में तेजस करीब 40 मिनट तक हवा में रहा. इस फाइटर जेट के एसपी-21 वैरियंट को एयर कमोडोर केए मुथाना (रिटायर्ड) उड़ा रहे थे. एयर कमोडोर केए मुथाना टेस्ट फ्लाइंग (फिक्स्ड विंग) के चीफ हैं. एलसीए तेजस की यह पहली उड़ान बैंगलोर में आयोजित की गई थी. एचएएल ने 12 महीने के रिकॉर्ड समय में इस काम को हासिल किया.
एचएएल के सीएमडी आर. माधवन के अनुसार, इस उड़ान में एलसीए तेजस कार्यक्रम के विभिन्न हितधारकों एचएएल, वैमानिकी गुणवत्ता आश्वासन महानिदेशालय, सेंटर फॉर मिलिट्री एयरवर्थनेस और सर्टिफिकेशन, भारतीय वायुसेना व एयरोनॉटिकल डेवलपमेंट एजेंसी के सराहनीय टीम वर्क का योगदान रहा.
15 अन्य तेजस के निर्माण
एचएएल के अनुसार, तेजस की इस उड़ान के बाद 15 और तेजस विमानों के निर्माण का रास्ता साफ हो गया है. इन विमानों को अगले वित्त वर्ष में भारतीय वायुसेना को सौंप दिए जाने की योजना है. भारत में बने तेजस विमान का निर्माण हिंदुस्तान एयरोनॉटिक्स लिमिटेड (एचएएल) ने किया है.
विशेष विवरण
एचएएल के अनुसार, एफओसी-स्टैंडर्ड तेजस में एयर-टु-एयर रीफिलिंग, बियॉन्ड विजुअल रेंज मिसाइल सिस्टम जैसे अडवांस फीचर मौजूद हैं. शुरुआत में तैयार हुए तेजस को लेकर वायुसेना फ्लीट की ओर से कई सारे सुझाव सामने आए थे. इन सुझावों के आधार पर इस जेट के कई हिस्सों में सुधार किया करके इसे और बेहतर बनाया गया है.
पृष्ठभूमि
एचएएल अब एलसीए तेजस के मार्क वन-ए (एमके वन-ए) संस्करण पर भी काम कर रहा है. ये और अधिक एडवांस फाइटर जेट्स हैं. इसमें भी वियोंड विजयुल रेंज होगी अर्थात ऐसी मिसाइल जो आंखों की नजरों से दूर 40-50 किलोमीटर दूर भी टारगेट को मार गिरा सकती है. तेजस मार्क वन-ए में में रडार वॉर्निंग सिस्टम भी होगा अर्थात दुश्मन के रडार की पकड़ में आते ही पायलट को अलर्ट चला जाएगा.
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