भारत और मालदीव ने 08 अप्रैल 2021 को सीमापार आतंकवाद समेत दहशतगर्दी के सभी स्वरूपों की पुरजोर निंदा की और सतत तरीके से इस समस्या से निपटने के लिए अंतरराष्ट्रीय सहयोग को मजबूत करने की जरूरत बताई.
दोनों देशों ने इस बात की आवश्यकता बताई कि सभी देश तत्काल, सतत, सत्यापन योग्य कार्रवाई करें ताकि उनके नियंत्रण वाले किसी क्षेत्र का इस्तेमाल दूसरों पर आतंकवादी हमलों के लिए इस्तेमाल नहीं किया जाए.
संयुक्त कार्यसमूह की पहली बैठक
दोनों देशों ने आतंकवाद निरोधक कार्रवाई, हिंसक उग्रवाद को रोकने तथा कट्टरपंथ को कम करने पर संयुक्त कार्यसमूह की पहली बैठक में यह बात कही. विदेश मंत्रालय में सचिव (पश्चिम) विकास स्वरूप के नेतृत्व में भारतीय पक्ष ने इस बैठक में भाग लिया, जबकि मालदीव के दल का नेतृत्व विदेश सचिव अब्दुल गफूर मुहम्मद ने किया.
आतंकवाद के सभी स्वरूपों की जोरदार निंदा
विदेश मंत्रालय ने एक बयान में कहा कि भारत और मालदीव ने आतंकवाद के सभी स्वरूपों की जोरदार निंदा की, जिसमें सीमापार आतंकवाद भी शामिल है. उन्होंने सतत और व्यापक तरीके से आतंकवाद से निपटने हेतु अंतरराष्ट्रीय सहयोग को मजबूत करने की जरूरत पर जोर दिया.
आतंकवादी नेटवर्कों के खिलाफ कार्रवाई की जरूरत
विदेश मंत्रालय ने इस बात पर जोर दिया कि सभी आतंकवादी नेटवर्कों के खिलाफ समन्वित कार्रवाई की जरूरत है. उसने कहा कि दोनों पक्षों ने संयुक्त राष्ट्र के प्रतिबंध के दायरों में आने वाले आतंकवादी संगठनों की ओर से खतरों पर समीक्षा की.
भारत-मालदीव संबंध
ध्यातव्य है कि मालदीव, भारत द्वारा अपने पड़ोसी देशों को दी गई आर्थिक सहायता का सबसे बड़ा लाभार्थी रहा है, जब वैश्विक स्तर पर महामारी ने आपूर्ति श्रृंखला को प्रभावित किया था तो भारत ने मई माह में 580 टन खाद्य पदार्थ समेत मालदीव को आवश्यक खाद्य और निर्माण सामग्री की आपूर्ति की थी. इससे दोनों देशों के बीच संबंधों में और मज़बूती आई थी.
भारत-मालदीव संबंध दक्षिण एशिया की नजर से काफी महत्वपूर्ण हैं. भारत-मालदीव के बीच द्विपक्षीय संबंधों की शुरुआत मालदीव के साल 1965 में ब्रितानी शासन से आज़ादी के साथ हुई. भारत-मालदीव ने अपनी समुद्री सीमाओं का आधिकारिक रूप से साल 1976 में फैसला कर लिया था. दोनों देशों के मध्य साल 1982 में व्यापार समझौते पर भी हस्ताक्षर हुए थे.
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