भारतीय विदेश मंत्री सुषमा स्वराज ने म्यांमार के दौरे के दौरान 11 मई 2018 को म्यांमार की स्टेट काउंसलर आंग सान सू की के मुलाकात की. इस मुलाकात में भारत और म्यांमार के मध्य सात समझौतों पर हस्ताक्षर किये गए.
इस यात्रा में प्रधानमंत्री मोदी की सितंबर, 2017 में हुई यात्रा के समय किए गए फैसलों की समीक्षा की गई. यहां उन्होंने सेना बल के कमांडर-इन-चीफ और सीनियर जनरल मिन आंग ह्यांग से भी मुलाकात की.
भारत-म्यांमार के मध्य हुए समझौतों की सूची
• सीमा पार आवाजाही आसान एवं सुरक्षित बनाने हेतु समझौता
• बागान में भूकंप से क्षतिग्रस्त पगौडा (स्तूप) के संरक्षण और मरम्मत पर एक समझौता ज्ञापन
• संयुक्त संघर्षविराम निगरानी कमेटी पर सहायता के लिए समझौता ज्ञापन
• म्यांमार के विदेश सेवा के अधिकारियों को प्रशिक्षण पर समझौता ज्ञापन
• मोन्यावा में औद्योगिक प्रशिक्षण केंद्र (आईटीसी) स्थापित करने के लिए समझौता ज्ञापन
• थाटोन में औद्योगिक प्रशिक्षण केंद्र स्थापित करने हेतु समझौता ज्ञापन
• मिन्गया में चलाए जा रहे औद्योगिक प्रशिक्षण केंद्र की देख-रेख हेतु समझौता ज्ञापन का आदान-प्रदान किया गया.
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सीमा-पार आवाजाही समझौता सबसे अहम |
द्विपक्षीय संबंधों में सीमा पार करने पार हुआ समझौता सबसे अहम है. संयुक्त बयान में कहा गया कि इसमें दोनों देशों के लोग पासपोर्ट और वीजा के साथ हेल्थ, एजुकेशन, धार्मिक यात्रा और पर्यटन के लिए सरहद पार आ जा सकेंगे. म्यांमार में हाल ही में भड़की हिंसा एवं भारत की ओर पलायन कर रहे लोगों के लिए इस समझौते से नये आयाम खुल सकते हैं. सुषमा स्वराज ने राखिने प्रांत से जुड़े मुद्दों के समाधान के लिए म्यांमार सरकार को मदद के लिए भरोसा जताया. सेना की कार्रवाई के दौरान बड़े पैमाने पर हिंसा के कारण पिछले साल 7,00,000 रोहिंग्या मुसलमानों को म्यांमार के राखिने प्रांत से पलायन करना पड़ा था. बड़ी संख्या में शरणार्थियों के पनाह लेने के कारण पड़ोसी देश बांग्लादेश में दिक्कत हो गई थी. |
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