जलवायु परिवर्तन की वजह से भारत में हो सकती है खाद्यान की कमी: अध्ययन

Apr 3, 2018, 12:38 IST

अध्ययन के अनुसार एशिया, अफ्रीका और दक्षिण अमेरिका के 122 विकासशील देशों पर गौर किया गया है. ब्रिटेन के एक्जेटर विश्वविद्यालय के शोधकर्ताओं ने पता लगाया है कि कैसे जलवायु परिवर्तन विभिन्न देशों में खाद्य असुरक्षा के खतरे को और बढ़ा सकता है.

India at risk of food shortage due to climate change: Study
India at risk of food shortage due to climate change: Study

जलवायु परिवर्तन से मौसम में होने वाले बदलाव से भारत समेत दुनिया के कई देशों में खाद्यान की कमी का जोखिम बढ़ता जा रहा है. इस बात का खुलासा ‘फिलोस्पिकल ट्रांजैक्शन आफ द रायल सोसाइटी ए’ नाम की पत्रिका में प्रकाशित अध्ययन में किया गया है.

अध्ययन के अनुसार एशिया, अफ्रीका और दक्षिण अमेरिका के 122 विकासशील देशों पर गौर किया गया है. ब्रिटेन के एक्जेटर विश्वविद्यालय के शोधकर्ताओं ने पता लगाया है कि कैसे जलवायु परिवर्तन विभिन्न देशों में खाद्य असुरक्षा के खतरे को और बढ़ा सकता है.

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अध्ययन से संबंधित मुख्य तथ्य:

•    वैश्विक तापमान में 2 डिग्री सेल्सियस की वृद्धि से गंगा में प्रवाह दोगुने से अधिक हो सकता है.

•    अध्ययन के अनुसार कुछ क्षेत्रों खासकर भारत और बांग्लादेश में बाढ़ प्रकोप की अवधि चार दिन या उससे अधिक बढ़ेगी. यह प्रभाव कुछ हद तक सभी संबंधित देशों पर पड़ेगा.

•    शोध के अनुसार दक्षिणी अफ्रीका तथा तथा दक्षिण अमेरिका के देशों के सूखे से प्रभावित होने की आशंका है.  

•    तापमान में वृद्धि से औसतन नमी की स्थिति बढ़ेगी. बाढ़ से खाद्य उत्पादन प्रभावित होगा लेकिन कुछ क्षेत्रों में बार-बार सूखे से भी कृषि प्रभावित होगी. बाढ़ वाली स्थिति का सर्वाधिक प्रभाव दक्षिण और दक्षिण पूर्व एशिया में पडऩे की आशंका है.

 


•    अध्ययन अनुसार यदि तापमान में 1 से 4 डिग्री सेल्सियस तक वृद्धि होती है तो खाद्य पदार्थों के उत्पादन में 24 से 30 प्रतिशत तक की कमी आ सकती है.

•    भारत में चावल के उत्पादन में तापमान बढ़ने से वर्ष 2020 तक 6 से 7 प्रतिशत की कमी होगी जबकि गेहूँ के उत्पादन में वर्ष 2020 तक 5 से 6 प्रतिशत, आलु के उत्पादन में वर्ष 2020 तक तीन प्रतिशत तथा सोयाबीन के उत्पादन में 3 से 4 प्रतिशत की कमी होने का अनुमान है.

•    शोधकर्ताओं ने अपने अध्ययन में जलवायु परिवर्तन से मौसम में बदलाव और उसका खाद्यान की उपलब्धता और खाद्य असुरक्षा पर पड़ने वाले प्रभाव का आकलन किया है.

•    अगर वैश्विक तापमान में वृद्धि को 1.5 डिग्री सेल्सियस पर सीमित किया जाता है, 76 प्रतिशत विकासशील देशों में इसका प्रभाव तापमान में 2 डिग्री सेल्सियस की वृद्धि से होने वाले नुकसान के मुकाबले अपेक्षाकृत काफी कम होने की संभावना है.

•    तापमान में वृद्धि से औसतन नमी की स्थिति बढ़ेगी. बाढ़ से खाद्य उत्पादन प्रभावित होगा लेकिन कुछ क्षेत्रों में बार-बार सूखे से भी कृषि प्रभावित होगी.

•    बाढ़ वाली स्थिति का सर्वाधिक प्रभाव दक्षिण और दक्षिण पूर्व एशिया में पड़ने की आशंका है.

 

पृष्ठभूमि:

भारत के संदर्भ में यह चेतावनी इसलिए भी ज्यादा महत्वपूर्ण है क्योंकि भारतीय अर्थव्यवस्था की आधारशिला कृषि है. तापमान वृद्धि से समुद्रों का जलस्तर बढ़ जाएगा जिससे तटीय इलाकों में रहने वाले करोड़ों लोगों की आजीविका प्रभावित होगी. जलवायु परिवर्तन से फसलों की उत्पादकता ही प्रभावित नहीं होगी उनकी गुणवत्ता पर भी नकारात्मक प्रभाव पड़ेगा. जलवायु परिवर्तन से कीट और रोगों की मात्रा बढ़ेगी.

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