भारत औपचारिक रूप से 11 जुलाई 2018 को यूरोपीय पुनर्निर्माण और विकास बैंक (ईबीआरडी) का 69वां शेयरधारक बन गया है.
इससे बैंक के संचालन क्षेत्र में भारतीय कंपनियों के साथ और अधिक संयुक्त निवेश का रास्ता साफ हो गया है. सदस्यता से जुड़ी सारी प्रक्रिया इस सप्ताह पूरी हो गई थी.
मुख्य तथ्य:
- भारत सरकार ने दिसंबर 2017 में ईबीआरडी सदस्यता के लिए आवेदन किया था.
- सदस्यता के नेतृत्व में, ईबीआरडी ने जून 2018 में मुंबई में अपना उद्घाटन व्यापार मंच आयोजित किया.
- यह ईबीआरडी के कार्य क्षेत्रों में भारतीय कंपनियों के साथ संयुक्त निवेश में वृधि करेगा.
प्रभाव |
ईबीआरडी की सदस्यता से भारत की अंतर्राष्ट्रीय छवि में और अधिक निखार आएगा तथा इसके आर्थिक हितों को भी प्रोत्साहन मिलेगा. ईबीआरडी के संचालन वाले देशों तथा उसके क्षेत्र ज्ञान तक भारत की पहुंच निवेश तथा अवसरों को बढ़ाएगी. भारत के निवेश अवसरों में बढ़ोत्तरी होगी.इस सदस्यता से विनिर्माण, सेवा, सूचना प्रौद्योगिकी और ऊर्जा में सह-वित्तपोषण अवसरों के जरिए भारत और ईबीआरडी के बीच सहयोग के अवसर बढेंगे. ईबीआरडी के महत्वपूर्ण कार्यों में अपने संचालन के देशों में निजी क्षेत्र का विकास करना शामिल है. इस सदस्यता से भारत को निजी क्षेत्र के विकास को लाभान्वित करने के लिए बैंक की तकनीकी सहायता तथा क्षेत्रीय ज्ञान से मदद मिलेगी. इससे देश में निवेश का माहौल बनाने में योगदान मिलेगा. ईबीआरडी की सदस्यता से भारतीय फर्मों की प्रतिस्पर्धात्मक शक्ति बढ़ेगी और व्यापार के अवसरों, खरीद कार्यकलापों, परामर्श कार्यों आदि में अंतर्राष्ट्रीय बाजारों तक उनकी पहुँच बढ़ेगी. इससे एक ओर तो भारतीय पेशेवरों के लिए नए क्षेत्र खुलेंगे और दूसरी ओर भारतीय निर्यातकों को भी लाभ मिलेगा. बढ़ी हुई आर्थिक गतिविधियों से रोजगार सृजन क्षमता में विस्तार होगा.इससे भारतीय नागरिक भी इस बैंक में रोजगार के अवसर प्राप्त कर सकेंगे. |
यूरोपीय पुनर्निर्माण और विकास बैंक (ईबीआरडी):
- ईबीआरडी एक बहुपक्षीय विकास निवेश बैंक है.
- जर्मनी के एकीकरण के बाद यूरोप में निजी और उद्यमशीलता अभियान को बढ़ावा देने के लिए 1991 में इस बैंक की स्थापना की गई थी.
- बैंक का मुख्यालय लंदन में है. यह बैंक 38 उभरती हुई अर्थव्यस्थाओं में निवेश करता है.
- यह पहले पूर्व साम्यवादी राज्यों को शीत युद्ध के बाद अपनी अर्थव्यवस्थाओं का निर्माण करने में सहायता करता था बाद में 30 से अधिक देशों में मध्य यूरोप से मध्य एशिया तक विकास से जुडी सहायता करने के लिए इसका विस्तार किया गया.
- यह उन देशों में ही काम करता है जो बाजार अर्थव्यवस्थाओं के निर्माण के लिए उपकरण के रूप में निवेश का उपयोग करके लोकतांत्रिक सिद्धांतों के लिए काम करते हैं.
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