भारत कच्चे इस्पात का दूसरा सबसे बड़ा उत्पादक देश बना

Apr 6, 2018, 10:16 IST

वर्ल्ड स्टील एसोसिएशन के अनुसार, भारत ने फरवरी 2018 में 8.4 लाख टन कच्चे स्टील का उत्पादन किया है, जो पिछले साल फरवरी के मुकाबले 3.4 प्रतिशत अधिक है.

India becomes second largest crude steel maker
India becomes second largest crude steel maker

क्रूड स्टील अथवा कच्चा इस्पात उत्पादन करने के मामले में भारत चीन के बाद दूसरे स्थान पर आ गया है. स्टील यूजर्स फेडरेशन ऑफ इंडिया( सूफी) ने विश्व स्टील संघ के आंकड़ों के हवाले से यह जानकारी दी है.

भारत ने जापान को पीछे छोड़ते हुए क्रूड स्टील उत्पादन में यह स्थान हासिल किया है. चीन कच्चे स्टील उत्पादन में पहले स्थान पर है. कुल वैश्विक उत्पादन में चीन की हिस्सेदारी 50 प्रतिशत से अधिक है.

मुख्य तथ्य

•    भारत का क्रूड स्टील उत्पादन अप्रैल, 2017 से फरवरी, 2018 के दौरान 4.4 प्रतिशत बढ़कर 9.31 करोड़ टन पर पहुंच गया.

•    भारत 2015 में अमेरिका को पछाड़कर तीसरा सबसे बड़ा स्टील उत्पादक बना था.

•    वर्ल्ड स्टील एसोसिएशन के अनुसार, भारत ने फरवरी 2018 में 8.4 लाख टन कच्चे स्टील का उत्पादन किया है, जो पिछले साल फरवरी के मुकाबले 3.4 फीसदी अधिक है.

स्टील यूजर्स फेडरेशन ऑफ इंडिया के अनुसार सरकार द्वारा बनाई गई नीतियों से देश में स्टील उत्पादन में वृद्धि देखने को मिली है. फेडरेशन के मुताबिक 'मेक इन इंडिया' जैसे अभियान से स्टील की घरेलू मांग में इजाफा हुआ है. बुनियादी ढांचा परियोजनाओं से घरेलू बाजार को काफी प्रोत्साहन मिला है.

 

इस्पात निर्माण

लौह अयस्क से इस्पात बनाने की प्रक्रिया का दूसरा चरण इस्पात निर्माण है. कच्चे लोहे से इस्पात बनाने के लिये कच्चे लोहे में उपस्थित अतिरिक्त कार्बन तथा गंधक, फॉस्फोरस आदि अशुद्धियों को निकाला जाता है और मैगनीज, निकिल, क्रोमियम तथा वनाडियम आदि तत्व मिलाये जाते हैं ताकि वांछित प्रकार का इस्पात बनाया जा सके.

भारत इस्पात नीति-2017 की मुख्य बातें

•    भारतीय इस्पात क्षेत्र देश के जीडीपी में लगभग 2 प्रतिशत का योगदान करता है. भारत ने 2016-17 में बिक्री के लिए 100 एमटी उत्पादन के स्तर को पार किया.

•    नई इस्पात नीति 2017 के तहत 2030 तक 300 एमटी इस्पात बनाने की क्षमता हासिल करने का लक्ष्य रखा गया है. इसके लिए 2030-31 तक 10 लाख करोड़ रुपये का अतिरिक्त निवेश होगा.

•    इस नीति के तहत इस्पात की खपत बढ़ाने पर जोर दिया गया है और इसके लिए प्रमुख क्षेत्र हैं - बुनियादी ढांचा, वाहन एवं आवास.

•    नई इस्पात नीति के तहत 2030 तक प्रति व्यक्ति इस्पात की खपत को बढ़ाकर करीब 160 किलोग्राम करने का लक्ष्य रखा गया है जो फिलहाल करीब 60 किलोग्राम है.

•    इस्पात क्षेत्र में मौजूद संभावनाओं को मान्यता दी गई है. नीति में बताया गया है कि एमएसएमई क्षेत्र में ऊर्जा कुशल प्रौद्योगिकी को अपनाए जाने से कुल मिलाकर उत्पादकता बढ़ाने और ऊर्जा की खपत घटाने में मदद मिलेगी.

Gorky Bakshi is a content writer with 9 years of experience in education in digital and print media. He is a post-graduate in Mass Communication
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