विश्व बैंक ने हाल ही में कहा कि जलवायु परिवर्तन के खिलाफ वैश्विक लड़ाई में भारत अग्रणी देश बनकर उभर रहा है. उसने कहा कि एशियाई देशों में उर्जा के स्रोत के तौर पर सौर उर्जा धीरे-धीरे कोयले का स्थान ले रही है.
विश्व बैंक ने कहा की अपने लोगों को वर्ष 2030 तक चौबीसों घंटे बिजली उपलब्ध कराने के लिए सौर उर्जा की ओर प्रतिबद्धता, नवोन्मेषी समाधान और उर्जा दक्षता पहलों के साथ भारत जलवायु परिवर्तन के खिलाफ वैश्विक लड़ाई में अग्रणी बनकर उभर रहा है. विश्व बैंक के मुताबिक, अपनी वृद्धि को बढ़ाने के लिए और अधिक स्वच्छ उर्जा का इस्तेमाल करने की सचेत पसंद के साथ ही भारत जलवायु परिवर्तन के प्रभावों से धरती को बचाने के वैश्विक प्रयासों में योगदान दे रहा है.
विश्व बैंक ने कहा की भारत और उसके अलावा ऊर्जा के स्रोत के रूप में सौर ऊर्जा कोयले की जगह ले रही है. उसने कहा कि सौर फोटोवॉल्टेक (पीवी) से बिजली पैदा करने की लागत वर्ष 2009 के मुकाबले एक चौथाई कम है और वर्ष 2040 तक इसके 66 फीसदी तक और कम होने की संभावना है.
रिपोर्ट में कहा गया है कि भारत में साल में लगभग 300 दिन धूप निकलती है इसलिए भारत में सौर उर्जा का फायदा उठाने और इसका इस्तेमाल करने के लिए विश्व में सबसे अच्छी परिस्थितियां हैं.
विश्व बैंक ने कहा कि भारत सरकार ने महत्वाकांक्षी परियोजनाएं बनाई हैं जिसमें वर्ष 2022 तक पवन चक्की और सौर उर्जा से 160 गीगावॉट तक बिजली पैदा करने का लक्ष्य शामिल है. विश्व बैंक ने कहा की यह अंतरराष्ट्रीय कंपनियों के लिए भारत के सौर बाजार में निवेश करने का भी अच्छा मौका है.
रिपोर्ट में कहा गया है कि कुछ सप्ताह पहले भारत ने कोयले से चलने वाले 14 गीगावॉट क्षमता वाले बिजली संयंत्र स्थापित करने की योजना से कदम पीछे खींच लिए क्योंकि अब सौर उर्जा से बिजली पैदा करने में वहन करने योग्य लागत आती है. रिपोर्ट में इस संबंध में भारत के कदमों की तारीफ की गई है.
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