भारत और फ्रांस ने अंतरिक्ष तकनीक क्षेत्र में सहयोग बढ़ाते हुए 06 सितंबर 2018 को गगनयान पर साथ मिलकर काम करने के लिए एक समझौते पर हस्ताक्षर किये. इस समझौते के पश्चात् भारत और फ्रांस ने गगनयान के लिए एक कार्यकारी समूह की घोषणा भी की.
फ्रांसीसी अंतरिक्ष एजेंसी के अध्यक्ष जीन येव्स ली गॉल द्वारा बेंगलुरु स्पेस एक्सपो के छठे संस्करण के दौरान घोषणा की गयी. भारत की 2022 से पहले अंतरिक्ष में तीन मनुष्यों को भेजने की योजना है. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने स्वतंत्रता दिवस पर इसरो के पहले मानवयान मिशन की घोषणा की थी.
भारत-फ्रांस गगनयान समझौते की विशेषताएं
• इसरो और फ्रांस की अंतरिक्ष एजेंसी सीएनइएस अंतरिक्ष औषधि, अंतरिक्ष यात्रियों के स्वास्थ्य की निगरानी करने, जीवन रक्षा मुहैया कराने, विकिरणों से रक्षा, अंतरिक्ष के मलबे से रक्षा और निजी स्वच्छता व्यवस्था के क्षेत्रों में संयुक्त रूप से अपनी विशेषज्ञता मुहैया कराएंगे.
• दोनों एजेंसियां मिलकर इसरो के अन्तरिक्ष यात्रियों को बेहद कम गुरुत्वाकर्षण पर प्रयोग करेंगे.
• दोनों देशों ने मंगल ग्रह, शुक्र और क्षुद्र ग्रह पर भी काम करने की योजना के बारे में विचार साझा किये हैं.
• फ्रांस के पास अंतरिक्ष अस्पताल जैसी सुविधा में मौजूद है तथा वह भारत के साथ यह जानकारी साझा करने के लिए तैयार है.
• गौरतलब है कि फ्रांस के राष्ट्रपति एमैनुअल मैक्रों मार्च 2018 में दिल्ली की यात्रा पर आए थे और भारत तथा फ्रांस ने अंतरिक्ष सहयोग पर संयुक्त दृष्टिपत्र (विजन) जारी किया था.
गगनयान मिशन के उद्देश्य |
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गगनयान के बारे में जानकारी
भारत की वर्ष 2022 से पहले, तीन मनुष्यों को अंतरिक्ष में भेजने की योजना है जिसे गगनयान नाम दिया गया है. भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन का मिशन महत्वपूर्ण है क्योंकि यह रूस, अमेरिका और चीन के बाद भारत को दुनिया के चौथे देश की फेहरिस्त में शामिल करेगा जिसने कोई मानवयुक्त यान अंतरिक्ष में भेजा है.
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