International Energy Agency: अंतरराष्ट्रीय ऊर्जा एजेंसी (आईईए) ने दुनिया के तीसरे सबसे बड़े ऊर्जा उपभोक्ता भारत को एजेंसी का पूर्णकालिक सदस्य बनने के लिए आमंत्रित किया है. तेल मंत्री हरदीप सिंह पुरी ने 11 अक्टूबर 2021 को ट्वीट किया कि उन्होंने इस संबंध में आईईए के कार्यकारी निदेशक फतह बिरोल के साथ ऑनलाइन चर्चा की.
यदि भारत इस प्रस्ताव को स्वीकार कर लेता है तो नयी दिल्ली को रणनीतिक तेल भंडार को 90 दिनों की जरूरत तक बढ़ाना होगा. इस समय भारत का सामरिक तेल भंडार अपनी जरूरत के 9.5 दिनों के बराबर है. तेल मंत्री हरदीप सिंह ने हालांकि यह नहीं बताया कि सरकार को पूर्णकालिक सदस्यता की मंजूरी है या नहीं.
पेरिस स्थित निकाय का सहयोगी सदस्य
भारत मार्च 2017 में पेरिस स्थित निकाय का एक सहयोगी सदस्य बना था, जो औद्योगिक देशों को ऊर्जा नीतियों पर सलाह देता है. इस साल जनवरी में आईईए के सदस्य और भारत के बीच एक रणनीतिक साझेदारी पर सहमति बनी थी. इसके तहत ऊर्जा सुरक्षा और स्वच्छ ऊर्जा को अपनाने सहित कई महत्वपूर्ण क्षेत्रों में सहयोग मजबूत किया जाएगा.
उत्सर्जन तीव्रता को कम करने का वादा
जलवायु परिवर्तन पर संयुक्त राष्ट्र फ्रेमवर्क कन्वेंशन के लिये अपनी प्रतिबद्धताओं के मुताबिक, भारत ने 2005 के स्तर की तुलना में साल 2030 तक अपनी अर्थव्यवस्था की उत्सर्जन तीव्रता को कम करने का वादा किया है.
कार्बन उत्सर्जन कम करने के संदर्भ में
भारत ने कार्बन उत्सर्जन कम करने के संदर्भ में साल 2030 तक अपनी ऊर्जा उपभोग का 40 प्रतिशत नवीकरणीय स्रोतों से प्राप्त करने की प्रतिबद्धता जताई है साथ ही साल 2022 तक 100 गीगावाट सौर ऊर्जा संयंत्र लगाना सुनिश्चित किया है.
अंतरराष्ट्रीय ऊर्जा एजेंसी: एक नजर में
अंतरराष्ट्रीय ऊर्जा एजेंसी (आईईए) में 30 सदस्य देश और आठ सहयोगी देश हैं. चार देश – चिली, कोलंबिया, इजराइल और लिथुआनिया, पूर्ण सदस्यता में शामिल होने की मांग कर रहे हैं. आईईए एक स्वायत्त अंतर-सरकारी संगठन है. इसकी स्थापना (1974 में) 1973 के तेल संकट के बाद हुई थी जब ओपेक कार्टेल ने तेल की कीमतों में भारी वृद्धि के साथ दुनिया को चौंका दिया था. आईईए के मुख्य क्षेत्र ऊर्जा सुरक्षा, आर्थिक विकास, पर्यावरण जागरूकता और दुनिया भर से इंगेजमेंट हैं.
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