भारत, अफगानिस्तान और ईरान ने चाबहार बंदरगाह परियोजना पर पहली त्रिपक्षीय बैठक की

Oct 25, 2018, 12:29 IST

चाबहार बंदरगाह के जरिये अंतरराष्ट्रीय पारगमन और परिवहन के लिए त्रिपक्षीय समझौते के पूर्ण संचालन के लिए तीनों पक्षों ने विस्तृत विचार-विमर्श किया. भारत चाबहार बंदरगाह को विकसित करने के लिए 50 करोड़ डॉलर का निवेश कर रहा है.

India, Iran, Afghanistan hold first trilateral on Chabahar port project
India, Iran, Afghanistan hold first trilateral on Chabahar port project

भारत, अफगानिस्तान और ईरान ने 23 अक्टूबर 2018 को चाबहार बंदरगाह परियोजना पर पहली त्रिपक्षीय बैठक की. इसमें परियोजना के कार्यान्वयन की समीक्षा की गई.

इस बैठक की महत्ता इस वजह से अधिक है क्योंकि सामरिक दृष्टि से महत्वपूर्ण यह बंदरगाह ईरान पर अमेरिकी प्रतिबंधों के दायरे में आ रहा है.

पहली त्रिपक्षीय बैठक से संबंधित मुख्य तथ्य:

•   चाबहार बंदरगाह के जरिये अंतरराष्ट्रीय पारगमन और परिवहन के लिए त्रिपक्षीय समझौते के पूर्ण संचालन के लिए तीनों पक्षों ने विस्तृत विचार-विमर्श किया.

•   भारत, अफगानिस्तान और ईरान ने मई 2016 में एक समझौते पर हस्ताक्षर किए थे जिसके तहत चाबहार बंदरगाह के इस्तेमाल से तीनों देशों के बीच पारगमन और परिवहन कॉरीडोर बनाने की बात कही गई थी.

•   बैठक में एक फॉलोअप कमेटी गठित करने का भी फैसला किया गया जिसकी पहली बैठक चाबहार बंदरगाह में दो महीने के भीतर होगी.

•   त्रिपक्षीय चाबहार पहल का पूरी तरह परिचालन शुरू होने से अफगानिस्तान और आसपास के क्षेत्र में कनेक्टिविटी बढ़ेगी और आर्थिक विकास होगा.

50 करोड़ डॉलर का निवेश:

भारत चाबहार बंदरगाह को विकसित करने के लिए 50 करोड़ डॉलर का निवेश कर रहा है, जिससे देश को अफगानिस्तान तक सीधे पहुंचने में मदद मिलेगी. अभी अफगानिस्तान जाने के लिए सड़क मार्ग से रास्ता पाकिस्तान होकर गुजरता है.

भारत ने पिछले साल चाबहार के माध्यम से अफगानिस्तान को सहायता के रूप में 11 लाख टन गेहूं भेजा था. भारत ने चाबहार से अफगानिस्तान को जोड़ने के लिए सड़क मार्ग के निर्माण के लिए सहायता दी थी.

चाबहार बंदरगाह का विकास:

अमेरिका-ईरान सबंधों में अनिश्चितता के मद्देनजर भारत ने चाबहार में विकास कार्यों की गति धीमी कर रखी है. भारत के लिये यह एक अच्छी बात है कि ईरान रणनीतिक कारणों से यह चाहता था कि चाबहार बंदरगाह का विकास भारत ही करे. इसीलिये पहले उसने यह परियोजना भारत को देते समय चीन का दबाव पूरी तरह दरकिनार कर दिया था. हालाँकि अब तक भारत की इस परियोजना को विकसित करने की धीमी गति उसके लिये परेशानी और चिंता का सबब बनती दिख रही है.

भारत हेतु चाबहार का महत्त्व:

•   भारत और ईरान दोनों ही देशों के लिए चाबहार परियोजना का बहुत महत्व है. यह ओमान सागर में अवस्थित यह बंदरगाह प्रांत की राजधानी जाहेदान से 645 किलोमीटर दूर है और मध्य एशिया व अफगानिस्तान को सिस्तान-बलूचिस्तान से जोड़ने वाला एक मात्र बंदरगाह है.

•   चाबहार भारत के लिये अफगानिस्तान और मध्य एशिया के द्वार खोल सकता है. यह बंदरगाह एशिया, अफ्रीका और यूरोप को जोड़ने के लिहाज से सर्वश्रेष्ठ जगह है. भारत वर्ष 2003 से इस बंदरगाह के विकास में महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाने के प्रति अपनी रुचि दिखा रहा है.

•   चाबहार गहरे पानी में स्थित बंदरगाह है और यह ज़मीन के साथ मुख्य भू-भाग से भी जुड़ा हुआ है, जहाँ सामान उतारने-चढ़ाने का कोई शुल्क नहीं लगता. चाबहार बंदरगाह के जरिये अफगानिस्तान को भारत से व्यापार करने के लिये एक और रास्ता मिल जाएगा. विदित हो कि अभी तक पाकिस्तान के रास्ते भारत-अफगानिस्तान के बीच व्यापार होता है.

चाबहार के बारे में:

चाबहार ईरान में सिस्तान और बलूचिस्तान प्रांत का एक शहर है. यह एक मुक्त बन्दरगाह है और ओमान की खाड़ी के किनारे स्थित है. यह ईरान का सबसे दक्षिणी शहर है. इस नगर के अधिकांश लोग बलूच हैं और बलूची भाषा बोलते हैं. यहाँ मौसम सामान्य रहता है और हिंद महासागर से गुजरने वाले समुद्री रास्तों तक भी यहाँ से पहुँच बहुत आसान है

भारत ने मई 2015 में चाबहार बंदरगाह के विकास के लिए द्विपक्षीय समझौते पर हस्ताक्षर किए थे. यह बंदरगाह ईरान के लिए रणनीति की दृष्टि से बहुत महत्वपूर्ण है. इसके माध्यम से भारत के लिए समुद्री सड़क मार्ग से अफगानिस्तान पहुँचने का मार्ग प्रशस्त हो जायेगा और इस स्थान तक पहुँचने के लिए पाकिस्तान के रास्ते की आवश्यकता नहीं होगी.

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Vikash Tiwari is an content writer with 3+ years of experience in the Education industry. He is a Commerce graduate and currently writes for the Current Affairs section of jagranjosh.com. He can be reached at vikash.tiwari@jagrannewmedia.com
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