भारत साल 2050 तक दुनिया का तीसरा सबसे बड़ा आयातक बन जाएगा. भारत वैश्विक आयात में 5.9 प्रतिशत की हिस्सेदारी के साथ चीन और अमेरिका के ठीक पीछे होगा. चीन इस आर्थिक बदलाव का एक प्रमुख चालक है क्योंकि इसके साल 2030 तक दुनिया की सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था बनने की उम्मीद है.
रिपोर्ट में कहा गया है कि विश्व अर्थव्यवस्थाओं के बीच वर्तमान अनुमानित रैंकिंग के हिसाब से भारत 2.8 प्रतिशत आयात हिस्सेदारी के साथ सबसे बड़े आयातक देशों में आठवें स्थान पर है और साल 2030 तक चौथा सबसे बड़ा आयातक बनने के लिए तैयार है.
अमेरिका और यूरोपीय संघ की हिस्सेदारी घटेगी
अमेरिका और यूरोपीय संघ के अधिकांश आयात क्षेत्रों में हिस्सेदारी वर्ष 2030 तक घटने की उम्मीद है क्योंकि एशिया के मध्यम वर्ग के खातों में क्रय शक्ति बढ़ रही है. यह परिवर्तन विशेष रूप से खाने-पीने के सामान, यात्रा और डिजिटल सेवा क्षेत्रों में चिह्नित किया गया है. यूके के अंतरराष्ट्रीय व्यापार विभाग द्वारा जारी नवीनतम ग्लोबल ट्रेड आउटलुक रिपोर्ट में यह कहा गया है.
दुनिया की सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था
चीन इस आर्थिक बदलाव का एक प्रमुख चालक है क्योंकि इसके वर्ष 2030 तक दुनिया की सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था बनने की उम्मीद है. रिपोर्ट में अनुमान लगाया गया है कि भारत वर्ष 2050 तक दुनिया की सबसे बड़ी अर्थव्यवस्थाओं की रैंकिंग में चीन और अमेरिका के बाद, वैश्विक सकल घरेलू उत्पाद में 6.8 प्रतिशत की हिस्सेदारी के साथ तीसरे स्थान पर पहुंच जाएगा.
वर्तमान में, भारत विश्व की अर्थव्यवस्थाओं के आकार में 3.3 प्रतिशत की हिस्सेदारी के साथ पांचवें स्थान पर है. भारत की जीडीपी चौथी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था बनने के लिए वर्ष 2030 तक जर्मनी को पार करने का अनुमान है.
सात सबसे बड़ी उभरती अर्थव्यवस्था
सात सबसे बड़ी उभरती अर्थव्यवस्थाओं- चीन, भारत, ब्राजील, रूस, इंडोनेशिया, मैक्सिको और तुर्की के 'ई7 समूह' के 2050 तक वैश्विक आयात मांग में जी7 के हिस्से के बराबर होने का अनुमान है. विश्व के सात सबसे अमीर देश- कनाडा, फ्रांस, जर्मनी, इटली, जापान, यूके और यूएस- जी7 समूह का हिस्सा हैं.
जी7 की हिस्सेदारी
वैश्विक सकल घरेलू उत्पाद में जी7 की हिस्सेदारी 2000 में 65 प्रतिशत से गिरकर 2020 में 46 प्रतिशत हो गई, जबकि 'ई7' की हिस्सेदारी 11 प्रतिशत से बढ़कर 28 प्रतिशत हो गई. अगले तीस वर्षों में, ई7 में श्रम उत्पादकता वृद्धि जी7 की दर से लगभग दोगुनी बढ़ने की उम्मीद है. 2030 के दौरान ई7 आर्थिक आकार में जी7 से आगे निकल जाएगा. हालांकि, रिपोर्ट में आगाह किया गया है कि उभरती अर्थव्यवस्थाओं को बड़ी चुनौतियों का भी सामना करना पड़ सकता है.
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