भारतीय अर्थव्यवस्था ने जनवरी से मार्च की अवधि के दौरान आई गिरावट से सबसे तेज़ गति से बढ़ रही अर्थव्यवस्था का टैग खो दिया है. देश की सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) की वृद्धि दर जनवरी से मार्च के दौरान 6.1 प्रतिशत पर आ गई. 2015-16 में ये आंकड़ा 7.9 प्रतिशत था.
केंद्रीय सांख्यिकी कार्यालय (सीएसओ) के आंकड़ों के मुताबिक 31 मार्च को खत्म वित्त वर्ष में सकल मूल्यवर्धन-ग्रॉस वैल्यू ऐडेड (जीवीए) घटकर 6.6 प्रतिशत पर आ गया, जो कि 2015-16 में 7.9 प्रतिशत रहा था. नोटबंदी से 2016-17 की तीसरी और चौथी तिमाही पर असर पड़ा और इन तिमाहियों के दौरान यह घटकर क्रमश: 6.7 प्रतिशत और 5.6 प्रतिशत पर आया, जो इससे पिछले वित्त वर्ष की समान तिमाहियों में 7.3 और 8.7 प्रतिशत रहा था.
अप्रैल में कोर सेक्टर की ग्रोथ घटकर 2.5 प्रतिशत रही है. मार्च में कोर सेक्टर की ग्रोथ 5.3 प्रतिशत रही थी. अप्रैल में महीने दर महीने आधार पर स्टील उत्पादन, कच्चे तेल और फर्टिलाइजर्स के उत्पादन में गिरावट दर्ज की गई है. अप्रैल में कच्चे तेल का उत्पादन 0.9 फीसदी से घटकर -0.6 फीसदी, अप्रैल में स्टील का उत्पादन 11 प्रतिशत से घटकर 9.3 प्रतिशत रहा है. फर्टिलाइजर्स का उत्पादन -3.2 प्रतिशत से बढ़कर 6.2 प्रतिशत रहा है.
विकास दर के आंकड़े
• पिछले वर्ष हुए बेहतर मानसून के कारण 2016-17 में कृषि सेक्टर की विकास दर 4.9 प्रतिशत रही जो इससे 2015-16 में 0.7 प्रतिशत थी. चौथी तिमाही में कृषि क्षेत्र का जीवीए 5.2 प्रतिशत बढ़ा जबकि 2015-16 की समान तिमाही में यह 1.5 प्रतिशत बढ़ा था.
• वित्त वर्ष 2017 में विनिर्माण क्षेत्र की विकास दर 10.8 प्रतिशत से घटकर 7.9 प्रतिशत रही सालाना आधार पर वित्त वर्ष 2017 की चौथी तिमाही में विनिर्माण क्षेत्र की विकास दर 12.7 प्रतिशत से घटकर 5.3 प्रतिशत रही.
• वित्त वर्ष 2017 में खनन क्षेत्र की विकास दर 10.5 प्रतिशत से घटकर 1.8 प्रतिशत रही. वित्त वर्ष 2017 की चौथी तिमाही में खनन क्षेत्र की विकास दर 10.5 प्रतिशत से घटकर 6.4 प्रतिशत रही है.
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