विश्व डोपिंग रोधी एजेंसी (वाडा) ने वर्ष 2015 में हुए डोपिंग उल्लंघन की रिपोर्ट जारी की है जिसमें भारत लगातार तीसरे वर्ष तीसरे स्थान पर रहा है.
इस रिपोर्ट में भारत के कुल 117 खिलाड़ियों को प्रतिबंधित दवाओं के सेवन का दोषी पाया गया है. इस मामले में भारत से आगे रूस (176 मामले) एवं इटली (129 मामले) हैं.
भारत के 117 एंटी डोपिंग नियमों के उल्लंघन के मामले सामने आए हैं. यह संख्या वर्ष 2013 में 91 और वर्ष 2014 में 96 से अधिक है.
हालांकि वर्ष 2015 में अत्यधिक डोप पॉजिटिव केसों के चलते राष्ट्रीय डोपिंग रोधी एजेंसी (नाडा) को यह डर सता रहा था कि कहीं वह इस सूची में दूसरे स्थान पर न पहुंच जाए.
नाडा का डर सही निकला है, डोप पॉजिटिव केसों की संख्या बढ़ी है, लेकिन इस मामले में रूस और इटली के नंबर में भी बढ़ोतरी हुई है. यही कारण है कि भारत सूची में तीसरे स्थान पर ही बना है. यह रिपोर्ट वाडा ने 31 जनवरी तक बनाए गए चार्ट के आधार पर जारी की है.
हालांकि 117 में से 115 मामले मूत्र सैंपलों की एनालिटिकल रिपोर्ट के हैं, जबकि दो मामले नॉन एनालिटिकल (टेस्ट से भागना, प्रतिबंधित दवा का पकड़ा जाना) भी हैं. वाडा की ओर से जारी रिपोर्ट में पॉजिटिव पाए गए 78 खिलाड़ी पुरुष हैं, जबकि 37 खिलाड़ी महिलाएं हैं.
खास बात यह है कि पॉजिटिव खिलाड़ियों के मामले में वेटलिफ्टिंग ने इस बार एथलेटिक्स को पीछे छोड़ दिया है. लिफ्टर डोप में 32 पुरुष और 24 महिलाओं समेत कुल 56 खिलाड़ी पकड़े गए हैं.
इसके बाद 14 पुरुष और सात महिलाओं समेत कुल 21 एथलीटों का नंबर है. आठ-आठ पहलवान और बॉक्सर भी फंसे हैं. नाडा की ओर से वर्ष 2015 में कुल पांच हजार एक सौ बासठ सैंपल लिए गए, जिसमें 110 खिलाड़ी पॉजिटिव हैं. बाकी के पांच खिलाड़ी विदेश में पकड़े गए हैं.
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