ट्रांसपेरेंसी इंटरनेशनल द्वारा जारी किए गए 'वैश्विक भ्रष्टाचार धारणा सूचकांक' में भारत को 81 वें पर रखा है. एशिया प्रशांत क्षेत्र में भ्रष्टाचार और प्रेस स्वतंत्रता के मामले में सबसे खराब स्थिति वाले मामले में देश का नाम रखा गया.
सूचकांक के बारे में:
• इस सूचकांक में सार्वजनिक क्षेत्र के भ्रष्टाचार के मामलों को लेकर 180 देशों को रखा गया था.
• सूचकांक 0 से 100 के पैमाने का उपयोग करता है, जहां 0 अत्यधिक भ्रष्ट को दिखाता है वहीं नंबर 100 बहुत भ्रष्टाचारमुक्त को बताता है.
रिपोर्ट: मुख्य तथ्य
• पिछले साल 2016 में भारत 176 देशों में 79 वें स्थान पर था.
• इसमें भारत ने पूर्व की भांति 40 स्कोर प्राप्त किया. वर्ष 2015 में भारत का स्कोर 38 था.
• ट्रांसपेरेंसी इंटरनेशनल के अनुसार, एशिया प्रशांत के कुछ देशों में पत्रकारों, कार्यकर्ताओं, विपक्षी नेताओं और यहां तक कि कानून प्रवर्तन या निगरानी एजेंसियों के कर्मचारियों को जान मारने तक की धमकी दी जाती है और यहां तक कि कुछ सबसे खराब मामलों में भी उनकी हत्या भी कर दी जाती है.
• इस संबंध में, फिलीपींस, भारत और मालदीव इस मामले में सबसे खराब स्थिति पर हैं. इन देशों में भ्रष्टाचार चरम पर है, साथ ही यहां प्रेस स्वतंत्रता की कमी और वरिष्ठ पत्रकारों की मौतें आम बात हैं.
• पत्रकार सुरक्षा समिति की रिपोर्ट के अनुसार, पिछले छह वर्षों में, इन देशों की भ्रष्टाचार की स्टोरी पर काम कर रहे 15 पत्रकारों की हत्या कर दी गई है.
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नवीनतम रैंकिंग:
• नवीनतम रैंकिंग में न्यूजीलैंड और डेनमार्क क्रमशः 89 और 88 के स्कोर के साथ सर्वोच्च स्थान पर रहे.
• सीरिया, दक्षिण सूडान और सोमालिया क्रमशः 14, 12 और 9 के स्कोर के साथ सबसे कम स्थान पर रहे.
• चीन को 41 अंकों के साथ 77वें स्थान पर रखा गया, जबकि ब्राजील को 37 के स्कोर के साथ 96वें स्थान पर रखा गया था. वहीं रूस 29 अंकों के साथ 135वें स्थान पर था.
निष्कर्ष:
इन परिणामों से ये भी निकल कर आया कि प्रेस और गैर-सरकारी संगठनों (एनजीओ) की कम सुरक्षा वाले देशों में भ्रष्टाचार की स्थिति सबसे बुरी है। सीपीजे के आंकड़ों के हवाले से बताया गया कि पिछले छह सालों में, 10 में 9 पत्रकारों को उन देशों में मार दिया गया, जिन्होंने सूचकांक पर 45 या उससे कम अंक हासिल किया था.
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