छत्तीसगढ़ राज्य सरकार और विश्व बैंक ने 05 मार्च 2019 को नई दिल्ली में राज्य के व्यय प्रबंधन में सुधार लाने में सहायता प्रदान करने के लिए 25.2 मिलियन डॉलर के ऋण समझौते पर हस्ताक्षर किए. इस सहायता के तहत व्यय की योजना, निवेश प्रबंधन, बजट कार्यान्वयन, सार्वजनिक खरीद एवं जवाबदेही को कवर किया जाएगा.
छत्तीसगढ़ सार्वजनिक वित्तीय प्रबंधन एवं जवाबदेही कार्यक्रम, जो लगभग एक दशक भर से छत्तीसगढ़ में विश्व बैंक द्वारा वित्त पोषित प्रथम राज्य स्तरीय परियोजना है, इससे राज्य को प्रत्यक्ष लाभ अंतरण (डीबीटी) और कर प्रशासन प्रणालियों को मजबूती प्रदान करने में भी मदद मिलेगी.
ऋण समझौते पर भारत सरकार की ओर से समीर कुमार खरे, अपर सचिव, आर्थिक कार्य विभाग, वित्त मंत्रालय, छत्तीसगढ़ सरकार की ओर से कमल प्रीत ढिल्लों, सचिव, वित्त और विश्व बैंक की ओर से एक्टिंग कंट्री डायरेक्टर, हिशम एब्डो ने हस्ताक्षर किए.
| लाभ |
| नई परियोजना राज्य के मानव संसाधनों और सार्वजनिक वित्त के प्रबंधन की व्यवस्था करने वाली संस्थाओं का क्षमता निर्माण करेगी. विश्व बैंक के विश्वस्तरीय अनुभवों के साथ-साथ अन्य भारतीय राज्यों में उसके द्वारा किये गए सार्वजनिक वित्तीय प्रबंधन (पीएफएम) सुधारों से मिली सीख से भी छत्तीसगढ़ को लाभ पहुंचेगा. |
छत्तीसगढ़-विश्व बैंक समझौते के मुख्य बिंदु
- इससे राज्य गरीबों और असहाय लोगों के लाभ के लिए व्यापक दक्षता के साथ और अधिक धनराशि का निवेश कर सकेगा.
- आई.टी. समाधानों पर ध्यान केन्द्रित करने वाली इस नई परियोजना से राज्य की लगभग 11000 ग्राम पंचायतें और 168 शहरी नगर पालिकाएं लाभान्वित होंगी.
- राज्य के 92% परिवार अनुसूचित जाति, अनुसूचित जनजाति और अन्य पिछड़ा वर्गों से संबंधित हैं. ऐसे में केन्द्र और राज्य सरकार द्वारा परिवारों और व्यक्तियों तक संसाधन पहुंचाने के लिए प्रत्यक्ष लाभ अंतरण (डीबीटी) का तेजी से इस्तेमाल किया जा रहा है.
- छत्तीसगढ़ की लगभग 11000 ग्राम पंचायतों और 168 शहरी नगर पालिकाओं के पारदर्शिता और जवाबदेही पर बल देने वाले इस कार्यक्रम से लाभान्वित होने की संभावना है.
- विश्व बैंक से मिले 25.2 मिलियन डॉलर ऋण के लिए पांच साल की अनुग्रह अवधि है और अंतिम मियाद 10.5 साल है.
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