भारत ने लिया तीसरे आर्कटिक साइंस मिनिस्ट्रियल में भाग, आर्कटिक में दीर्घकालिक सहयोग के लिए योजनाएं की साझा

May 12, 2021, 15:18 IST

आर्कटिक साइंस मिनिस्ट्रियल आर्कटिक क्षेत्र में सहयोग और अनुसंधान पर चर्चा करने के लिए एक वैश्विक मंच है.

India takes part in 3rd Arctic Science Ministerial, shares plans for long term cooperation in Arctic
India takes part in 3rd Arctic Science Ministerial, shares plans for long term cooperation in Arctic

08 मई, 2021 को तीसरे आर्कटिक साइंस मिनिस्ट्रियल (ASM) में केंद्रीय पृथ्वी विज्ञान मंत्री, डॉ. हर्षवर्धन ने हिस्सा लिया और यह कहा कि, भारत अनुसंधान, अवलोकन, अंतर्राष्ट्रीय सहयोग और क्षमता निर्माण के माध्यम से आर्कटिक में सकारात्मक भूमिका निभाता रहेगा.

केंद्रीय मंत्री ने यह प्रस्ताव भी पेश किया कि, भारत को अगले या भविष्य के आर्कटिक साइंस मिनिस्ट्रियल की मेजबानी का अवसर दिया जा सकता है. तीसरे ASM का विषय था ‘नॉलेज फॉर सस्टेनेबल आर्कटिक’. ASM आर्कटिक क्षेत्र में सहयोग और अनुसंधान पर चर्चा करने के लिए एक वैश्विक मंच है.

उद्देश्य

आर्कटिक साइंस मिनिस्ट्रियल का उद्देश्य विभिन्न हितधारकों को अवसर प्रदान करना है, जिसमें आर्कटिक क्षेत्र की सामूहिक समझ को बढ़ाने के उद्देश्य से स्वदेशी समुदायों, शिक्षाविदों, नीति निर्माताओं और सरकारों को शामिल किया गया है.

यह आर्कटिक काउंसिल क्या है?

यह आर्कटिक क्षेत्र में सतत विकास और पर्यावरण संरक्षण के लिए समन्वय, सहयोग और बातचीत को बढ़ावा देने के लिए एक उच्च-स्तरीय अंतर-सरकारी (इंटर-गवर्नमेंटल) फोरम है.

आर्कटिक क्षेत्र गर्म हो रहा है और इसकी बर्फ का पिघलना वैश्विक चिंता का विषय है क्योंकि यहां के ग्लेशियर समुद्र के स्तर में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं, जलवायु को नियंत्रित करते हैं और जैव विविधता को बनाए रखते हैं.

तीसरे आर्कटिक साइंस मिनिस्ट्रियल में भारत: प्रमुख विवरण

• इस बैठक के दौरान, भारत ने आर्कटिक के बारे में अपनी योजनाओं को रिमोट-सेंसिंग और ऑन-साइट, दोनों तरीकों से साझा किया.
• भारत ऊपरी महासागरीय परिवर्तनों और समुद्री मौसम संबंधी मापदंडों की दीर्घकालिक निगरानी के लिए आर्कटिक क्षेत्र में खुले महासागरीय घाट में तैनाती भी करेगा.

NASA-ISRO सिंथेटिक एपर्चर रडार सैटेलाइट मिशन

तीसरे आर्कटिक साइंस मिनिस्ट्रियल में, भारत ने आर्कटिक क्षेत्र के लिए अपनी योजनाएं प्रस्तुत करते  हुए यह बताया कि, संयुक्त राज्य अमेरिका के सहयोग से NASA-ISRO सिंथेटिक एपर्चर रडार सैटेलाइट मिशन के लॉन्च पर भी काम चल रहां है.

आर्कटिक काउंसिल में भारत की स्थिति

• भारत को वर्ष 2013 से ही 12 अन्य देशों - जापान, फ्रांस, चीन, इटली, यूके, जर्मनी, स्पेन, स्विट्जरलैंड, पोलैंड, सिंगापुर, दक्षिण कोरिया और नीदरलैंड्स के साथ-साथ आर्कटिक काउंसिल में एक 'पर्यवेक्षक का दर्जा' प्राप्त है.
• आर्कटिक काउंसिल के एक हिस्से के तौर पर, देश एक सुदृढ़ और सुरक्षित क्षेत्र में योगदान देता है.

आर्कटिक क्षेत्र में भारत का अनुसंधान  

आर्कटिक क्षेत्र में जुलाई, 2008 से भारत का हिमादरी नामक एक स्थायी अनुसंधान स्टेशन है.

आर्कटिक क्षेत्र में भारत का अनुसंधान, पृथ्वी विज्ञान मंत्रालय के अंतर्गत आने वाले नेशनल सेंटर फॉर पोलर एंड ओशन रिसर्च, गोवा द्वारा संचालित, समन्वित और प्रोत्साहित किया जाता है.

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