19 जुलाई 2016 को अमेरिकी भूवैज्ञानिक सर्वेक्षण द्वारा प्रकाशित एक रिपोर्ट के अनुसार भारतीय राष्ट्रीय गैस हाइड्रेट कार्यक्रम अभियान 02 शीर्षक से भारत और संयुक्त राज्य अमेरिका द्वारा संयुक्त रूप से हिन्द महासागर के बंगाल की खाड़ी में अत्यधिक मात्रा में प्राकृतिक गैस हाइड्रेट (ईंधन के बर्फीले रूप में) की खोज की गयी.
अमेरिकी भूवैज्ञानिक सर्वेक्षण, जापानी ड्रिलिंग कंपनी और जापान एजेंसी समुद्री पृथ्वी विज्ञान और प्रौद्योगिकी के सहयोग और भारत की तेल एवं प्राकृतिक गैस निगम लिमिटेड के सौजन्य से अंतरराष्ट्रीय टीम के वैज्ञानिकों के नेतृत्व में यह खोज की गयी.
हिंद महासागर में किये जाने वाले शोधों में यह अपनी तरह की पहली खोज है.
इस अभियान के निष्कर्ष
भारतीय राष्ट्रीय गैस हाइड्रेट कार्यक्रम अभियान 02 हिंद महासागर में गैस हाइड्रेट क्षमता के लिए की जा रही दूसरी संयुक्त खोज है.
इसके तहत रेत जलाशयों में गैस हाइड्रेट घटनाओं की खोज पर विशेष रूप से अन्वेषण किया गया.
खोज किया गया हाइड्रेट मुख्यतः कृष्णा-गोदावरी बेसिन के रेत युक्त प्रणाली में स्थित है.
ये हाइड्रेट्स संभवतः प्रचुर मात्रा में रेत और चैनल-सेतु गैस हाइड्रेट से बने हुए हैं.
प्राकृतिक गैस का उत्पादन व्यावहारिक और आर्थिक है या नहीं इसका निर्धारण करने के लिए जलाशयों में रेत उत्पादन के परीक्षण को शामिल करना अगला कदम होगा.
पहले अभियान में भारत और संयुक्त राज्य अमेरिका के वैज्ञानिकों के बीच एक साझेदारी के प्रयास से गैस हाइड्रेट के प्रचुर राशि की खोज की गयी. लेकिन वर्तमान में इन संरचनाओं की प्रतिलिपि प्रस्तुत किये जाने की उम्मीद नहीं की जा सकती है.
प्राकृतिक गैस हाइड्रेट्स क्या हैं?
प्राकृतिक गैस हाइड्रेट्स दुनिया के महासागरों और ध्रुवीय क्षेत्रों में स्वाभाविक रूप से बर्फ की तरह पाये जाने वाले प्राकृतिक गैस और पानी का संयोजन है.
कई अध्ययनों से पता चला है कि महासागरों और ध्रुवीय क्षेत्रों में गैस हाइड्रेट्स को प्राकृतिक गैस के महत्वपूर्ण संसाधन के रूप में प्रयुक्त किये जाने की अपार सम्भावना है.
गैस हाइड्रेट्स की प्रकृति और विशेषताओं के विषय में पूरी तरह जानकारी प्राप्त करना वैज्ञानिकों के समक्ष महत्वपूर्ण तकनिकी चुनौती बनी हुई है.
दुनिया भर में पारंपरिक प्राकृतिक गैस राशि का अनुमानित भंडार लगभग 440 खरब घन मीटर है.
अभियान के तहत किये गए मुख्य कार्य -
यह खोज दुनिया में सबसे व्यापक गैस हाइड्रेट क्षेत्र के विषय में भारत, जापान और संयुक्त राज्य अमेरिका के वैज्ञानिकों द्वारा आजतक किये गए प्रयसों का परिणाम है.
147 दिनों में सब सी फ्लोर की समुद्री तल से 239 मीटर से 567 मीटर की गहराई तक तथा जल के भीतर 1519 से 2815 मीटर तक 42 होल्स को पूरा किया गया.
वैज्ञानिकों द्वारा सागर ड्रिलिंग का आयोजन क्षेत्रीय संदर्भ में पारंपरिक तलछट कोरिंग,प्रेशर कोरिंग, डाउनहोल जमाव तथा भूगर्भिक घटनाओं की विशेषताओं का आकलन करने हेतु किया गया था.
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