भारत सरकार, महाराष्ट्र सरकार और विश्व बैंक ने महाराष्ट्र के मराठवाड़ा एवं विदर्भ क्षेत्रों में रहने वाले छोटे एवं सीमांत किसानों की सहायता करने के उद्देश्य से 420 मिलियन अमेरिकी डॉलर की एक परियोजना पर हस्ताक्षर किए.
विश्व बैंक महाराष्ट्र के विदर्भ और मराठवाड़ा क्षेत्र के 70 लाख से अधिक लघु एवं सीमांत किसानों को जलवायु के प्रति अनुकूल प्रशिक्षण के लिए शुरू की जाने वाली परियोजना हेतु 4.2 करोड़ डॉलर का ऋण देगा.
इस परियोजना से कृषि क्षेत्र में जलवायु की दृष्टि से लचीले माने जाने वाले तौर-तरीकों को बढ़ाने में मदद मिलेगी और इसके साथ ही यह सुनिश्चित किया जाएगा कि कृषि अथवा खेती-बाड़ी आगे भी इन किसानों के लिए वित्तीय दृष्टि से एक लाभप्रद आर्थिक गतिविधि बनी रहे.
महाराष्ट्र के लिए किये गये समझौते के मुख्य बिंदु
- लचीली कृषि के लिए महाराष्ट्र परियोजना को ऐसे ग्रामीण क्षेत्रों में क्रियान्वित किया जाएगा जो मुख्यत: वर्षा जल से सिंचित कृषि पर निर्भर रहते हैं.
- इस परियोजना के तहत खेत एवं जल-संभर स्तर पर अनेक गतिविधियां शुरू की जाएंगी. इसके तहत सूक्ष्म सिंचाई प्रणालियों, सतही जल भंडारण के विस्तार और जलभृत पुनर्भरण की सुविधा जैसी जलवायु-लचीली प्रौद्योगिकियों का व्यापक उपयोग किया जाएगा.
- इस परियोजना के तहत अल्प परिपक्वता अवधि वाली और सूखा एवं गर्मी प्रतिरोधी जलवायु-लचीली बीज किस्मों को अपना कर जलवायु के कारण फसलों के प्रभावित होने के जोखिमों को कम करने के साथ-साथ किसानों की आमदनी बढ़ाने में भी मदद मिलेगी.
- जलवायु-लचीली कृषि जिंसों से जुड़ी उभरती मूल्य श्रृंखलाओं को सुदृढ़ करने के उद्देश्य से इस परियोजना के तहत किसान उत्पादक संगठनों की क्षमता बढ़ाई जाएगी, ताकि वे टिकाऊ, बाजार उन्मुख और कृषि-उद्यमों के रूप में परिचालन कर सकें.
पृष्ठभूमि
हाल के वर्षों में प्रतिकूल मौसम से महाराष्ट्र में कृषि बुरी तरह प्रभावित हुई है. महाराष्ट्र में मुख्यत: छोटे और सीमांत किसानों द्वारा खेती की जाती है. महाराष्ट्र के किसानों की फसल उत्पादकता अपेक्षाकृत कम है और वे काफी हद तक वर्षा जल पर ही निर्भर रहते हैं. हाल के वर्षों में भंयकर सूखा पड़ने से इस राज्य में कृषि क्षेत्र का प्रदर्शन अथवा पैदावार बुरी तरह प्रभावित हुई है.
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