भारतीय मूल के अमेरिकी मृदा वैज्ञानिक डॉक्टर रतन लाल को हाल ही में कृषि क्षेत्र में नोबेल पुरस्कार के बराबर माने जाने वाले प्रतिष्ठित 'विश्व खाद्य पुरस्कार' से सम्मानित किया गया है. अमेरिकी विदेश मंत्री माइक पोम्पिओ ने मिट्टी विज्ञान में अपने शोध की सराहना करते हुए कहा कि वे दुनिया भर के लाखों छोटे किसानों की मदद कर रहे हैं.
विश्व खाद्य पुरस्कार फाउंडेशन ने 11 जून 2020 को एक बयान में कहा कि डॉक्टर लाल ने चार महाद्वीपों तक फैले और अपने पांच दशक से अधिक के करियर में मिट्टी की गुणवत्ता को बचाए रखने की नवीन तकनीकों को बढ़ावा देकर 50 करोड़ से अधिक छोटे किसानों की आजीविका को लाभ पहुंचाया है.
विश्व खाद्य पुरस्कार क्यों दिया गया?
उन्हें मिट्टी की गुणवत्ता में सुधार करने के लिए छोटे किसानों की मदद कर वैश्विक खाद्य आपूर्ति को बढ़ाने में योगदान देने हेतु इस पुरस्कार से सम्मानित किया गया है. रतन लाल को 250,000 अमेरिकी डॉलर का पुरस्कार मिलेगा.
मृदा वैज्ञानिक डॉक्टर रतन लाल ने क्या कहा
मृदा वैज्ञानिक डॉक्टर रतन लाल ने कहा कि वर्ष 2020 का विश्व खाद्य पुरस्कार पाकर बहुत खुश हूं. मुझे दुनिया भर के किसानों के लिए काम करने का विशेष अवसर व सम्मान मिला. रतन लाल ओहियो स्टेट यूनिवर्सिटी (ओएसयू) में कार्बन प्रबंधन व सिक्वेस्ट्रेशन सेंटर के संस्थापक निदेशक हैं.
Congratulations to Dr. Rattan Lal of India and the United States, the 2020 World Food Prize Laureate! #FoodPrize20 pic.twitter.com/sgo5ZzY0C5
— The World Food Prize (@WorldFoodPrize) June 11, 2020
डॉक्टर रतन लाल के बारे में
डॉ. रतन लाल वर्तमान में ओहियो स्टेट यूनिवर्सिटी में मृदा विज्ञान के प्रोफेसर हैं और विश्वविद्यालय के कार्बन प्रबंधन और पृथक्करण केंद्र के संस्थापक निदेशक हैं. डॉ. रतन लाल का जन्म 1944 में पश्चिम पंजाब के करयाल में हुआ था, जो अब पाकिस्तान में है. साल 1947 में, जब भारत को स्वतंत्रता मिली तब लाल का परिवार हरियाणा के राजौंद में शरणार्थियों के रूप में रहने लगा. रतन लाल ने अपनी प्रारंभिक शिक्षा पंजाब कृषि विश्वविद्यालय से पूरी की और एमएससी दिल्ली में भारतीय कृषि अनुसंधान संस्थान से की.
यह पुरस्कार 1987 से दिया जा रहा है
यह पुरस्कार अमेरिकी संस्था वर्ल्ड फूड प्राइज फाउंडेशन (Food Prize Foundation) द्वारा 1987 दिया जा रहा है. उनकी प्रशस्ति में कहा गया है कि उन्होंने चार महाद्वीपों में अपना योगदान किया है. उनकी तकनीकों से 50 करोड़ से अधिक छाटे किसानों को अपनी आजीविका में लाभ हुआ और दो अरब से अधिक लोगों आहार और पोषण की पक्की व्यवस्था करने के प्रयासों में सुधार आया है. इन तकनीकों से प्राकृतिक उष्णकटिबंधीय पारिस्थिकीय तंत्र के लाखों करोड़ो हेक्टेयर भूमि को बचाता हैं.
विश्व खाद्य पुरस्कार के बारे में
विश्व खाद्य पुरस्कार की स्थापना 1986 में नोबेल शांति पुरस्कार विजेता नॉर्मन बोरलॉग द्वारा की गई थी. यह फाउंडेशन अमेरिका के डेस मोइनेस, आयोवा में स्थित है और इस पुरस्कार के पहले विजेता भारतीय कृषि वैज्ञानिक डॉ. एमएस स्वामीनाथन हैं जिन्हें साल 1987 में पुरस्कृत किया गया था. एमएस स्वामीनाथन को भारत की हरित क्रांति का जनक माना जाता है.
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